हमारे वेदों में बताया गया है कि देवी देवताओं का निवास कुछ खास वृक्षों व पौधों में होता है। जैसे पीपल वृक्ष में समस्त देवताओं का, बेल वृक्ष में शंकर भगवान का, केले के वृक्ष में विष्णु भगवान का। ठीक उसी प्रकार नवदुर्गा के विभिन्न नौ रूपों की इन नौ औषधीय में निवास माना जाता है। मारकंडे चिकित्सा पद्धति में नवदुर्गा के विभिन्न 9 औषधीय का वर्णन किया गया है जिसका आज हम विस्तार से विवरण देंगे।
1- मां शैलपुत्री का निवास हरड के पौधे में माना जाता है जो कि कई प्रकार के रोगों में काम आता है। आयुर्वेद प्रधान औषधि हरड है। जिसमें माता शैलपुत्री का निवास माना जाता है। यह सात प्रकार की होती हैं। इसका प्रयोग करने से पेट की समस्याएं दूर होती हैं।
2- मां ब्रह्मचारिणी का निवास ब्राह्मी के पौधे में माना जाता है। ब्राह्मी के पौधे को सरस्वती भी कहा जाता है क्योंकि यह आवाज में मधुरता लाती हैं। इसे सेवन करने से याददाश्त तेज होती है और इसके प्रयोग से रक्त विकार दूर होते हैं।
3- मां चंद्रघंटा का निवास चंदूचूर इसे चंद्रिका भी कहते हैं। यह औषधि हृदय रोग के लिये लाभकारी है। यह पौधा धनिया के समान दिखता है। इसकी सब्जी भी बनाई जाती है।
4- मां कुष्मांडा का निवास पेठा या कुम्हड़ा के फल में माना जाता है। इसे औषधीय में मिठाई आदि भी बनती है। यह बलपुष्टिकर रक्त विकार को ठीक करने वाला होता है। पित्त व गैस के संबंधित समस्याओं को दूर करने वाला होता है।
5- मां स्कंदमाता का निवास अलसी के पौधे में माना जाता है। अलसी का मुख्य रूप से पेट और कफ़जनित रोगों को दूर करने के लिए माना जाता है। इसमें फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है इसलिए खून भी इससे साफ होता है।
6- मां कात्यायनी का निवास मोइया के पौधे में माना जाता है। इसे अंबा और अंबिका कहा जाता है। पित्त और कफ रोगों के लिए या औषधि रामबाण है।
7- मां कालरात्रि, नागदौन नामक औषधि में माता कालरात्रि विराजती हैं। यह औषधि सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी है। पाइल्स में यह औषधि अत्यंत उपयोगी है। अगर किसी को मस्तिष्क विकार है तो उसे यह औषधि का सेवन करना चाहिए। इसे दूधी भी कहते हैं।
8- महागौरी का निवास तुलसी में माना जाता है। तुलसी सात प्रकार की होती हैं। तुलसी को औषधीय में अमृत मान गया है। रक्त विकार, हृदय रोग और कफ विकार को दूर करने के लिए तुलसी अहम भूमिका निभाती है।
9- मां सिद्धिदात्री शतावरी के पौधे में इनका निवास माना जाता है। शतावर शरीर को पुष्ट और तंदुरुस्त बनाने के काम आता है। इससे बुद्धि भी तेज होती है। महिलाओं के लिये शतावरी रामबाण औषधि है। महिलाओं को आयुर्वेद में इसका सेवन कराया जाता है।
लेखक- पूजा गुप्ता
ज्योतिषी।