Sunday, April 28, 2024
No menu items!

इस्लाम को बचाने में अहलेबैत की कुर्बानियां हैं शामिल: मौलाना

जौनपुर। पंजतनी कमेटी द्वारा कदम रसूल छोटी लाइन इमामबाड़े में (भंडारी रेलवे स्टेशन के पीछे) बज़्मे मुसालमा हुआ। सालाना मजलिस के 25 साल होने के उपलक्ष्य में कार्यक्रम हुआ जहां मौलाना शेख हसन जाफर ने हदीसे से इसका आगाज़ किया। मोहम्मद हसन नसीम ने इमामबाड़ा के चमत्कार के बारे में बताया कि 9 मोहर्रम 1980 को यहाँ मौला के कदम आये थे। यहाँ की मिट्टी में अजब सी खुशबू थी। यही वजह थी कि पूरे देश से लोग यहाँ दर्शन करने वालो का तांता लगा रहा और प्रत्येक रविवार को शाम को मजलिसों का जो सिलसिला शुरू हुआ, जो आज भी कमेटी द्वारा जारी है।
अलविदाई तकरीर में मौलाना गुलाम अली खान हरिद्वार ने कहा कि आज अहलेबैत के चाहने वाले इस इमामबाड़ा की तामीर में जुटे है, क्योंकि इस्लाम आज जो पूरी दुनिया में फैला है, उसमें अहलेबैत की कुर्बानियां शामिल है। यज़ीदी हुकूमत ने इसे खत्म करने की जब कोशिश की तो हज़रत इमाम हुसैन ने अपने 71 साथियों के साथ कर्बला में शहादत देकर इस्लाम को बचाया।
इसके पहले मुसालमा में शायर ए अहलेबैत, अलताफ मारूफी, अजीम आज़मी, तनवीर नौगोरी, हेजबा इमामपुरी, नातिक गाजी़पुरी, हसन फतेहपुरी, शोहरत जौनपुरी, इरफान व मुंतज़िर जौनपुरी ने अपनेेेे कलाम पेश किया। कार्यक्रम का संचालन मीसम रामपुरी ने किया। कमेटी द्वारा सभी अतिथियों को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष शाहिद मेेंहदी, नेहाल हैदर, कैफ़ी रिजवी, एजाज हुसैन, नियाज हसन, हसनैन कमर, मौलाना बाकर मेंहदी, आज़ादर हुसैन, आज़म ज़ैदी, शाकिर ज़ैदी, अजमी आब्दी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular