Monday, April 29, 2024
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अखिलेश के ‘पीडीए’ में पीछे छूटते पिछड़े-दलित और मुसलमान

संजय सक्सेना, लखनऊ
मो.नं. 9454105568
समाजवादी पार्टी के नेतृत्व पर परिवारवाद का आरोप लगता रहता है लेकिन इससे कभी पार्टी की सेहत पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। सपा में परिवारवाद के बाद अब जिस तरह से बाहरी लोगों को राज्यसभा और विधान परिषद भेजने में दिलेरी दिखाई जा रही है, उससे पार्टी के भीतर बवाल खड़ा हो गया है। वैसे इसकी चिंगारी तभी उठने लगी थी, जब सपा ने लोकसभा के लिये 16 प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की थी। यह चिंगारी सपा प्रमुख द्वारा राज्यसभा के लिये मनमाने तरीके से प्रत्याशियों का चयन करने से और भी भड़क गई है। सपा के नेता और कार्यकर्ता कह रहे हैं कि काम हमारा-अधिकार तुम्हारा नहीं चलेगा। राज्यसभा में जिस तरह से सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बाहरी लोगों को टिकट दिया, उससे स्वामी प्रसाद मौर्या ही नहीं कई अन्य नेता भी नाराज हो गये हैं। स्थिति यह है कि सपा का मजबूत वोट बैंक समझे जाने वाला पिछड़ा, दलित, मुसलमान भी अखिलेश के रवैये से अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्या पहले ही नाराजगी जता चुके हैं जबकि सपा के दलित नेता और पूर्व मंत्री कमलाकांत गौतम ने नाराजगी के चलते अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है।

उधर मुसलमानों के कई रहनुमा कह रहे हैं कि 90 फीसदी मुस्लिम समाजवादी पार्टी को वोट देते हैं और उनको अधिकार के नाम पर झुनझुना दिखाया जाता है। अखिलेश को बताना होगा कि राज्यसभा के लिये उसे कोई मुस्लिम नेता का नाम क्यों नहीं सूझा जिसे राज्यसभा भेजा जाता। सपा पर अंदर-बाहर सभी तरफ से आरोप लगा रहा है कि उसका पिछड़ा, दलित, मुसलमान (पीडीए) छलावा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को पत्र लिखकर सपा से एक भी मुसलमान नेता को राज्यसभा का टिकट न मिलने पर नाराजगी जताई। साथ ही कहा कि आपके इस फैसले से सख्त तकलीफ हुई है। मौलाना ने कांग्रेस की तारीफ करते हुए लिखा है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पूरे देश में नफरत के खिलाफ यात्रा निकाल रहे हैं। वह संविधान बचाने, अमन पसंद लोगों को एकजुट करने में जुटे हैं। ऐसे में सपा को साथ देना चाहिए। भाजपा को रोकने के लिए सपा और कांग्रेस को एक मंच पर आना होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में फिरकापरस्त ताकतों को मजबूत करने की गलती न करें। मुसलमानों के जज्बात एवं एहसास को ठेस न पहुंचाएं। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में सपा की ओर से कांग्रेस को गलत सीटें दी जा रही हैं। इससे स्पष्ट है कि आप लोकसभा में भाजपा के खिलाफ कमजोर उम्मीदवार उतारने की मंशा रखते हैं। लखनऊ में राजनाथ सिंह के खिलाफ जिस उम्मीदवार की घोषणा की गई है। उससे भी यही प्रतीत होता है कि भाजपा को वॉकओवर दे दिया गया है।
समाजवादी पार्टी के लिये ऐन चुनाव से पूर्व पार्टी के भीतर उठा बवंडर खतरे की घंटी साबित हो सकता है। समय रहते यदि इसको नहीं थामा गया तो लोकसभा चुनाव में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि अखिलेश की पीडीए मुहिम को एक के बाद एक झटका लग रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद पूर्व मंत्री व सपा के प्रदेश सचिव कमलाकांत गौतम ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। कमलाकांत की बेचैनी भी भी स्वामी प्रसाद जैसी ही लग रही है। उन्होंने कहा कि सचिव का पद निष्क्रिय व निष्प्रभावी बना दिया गया है। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ भेदभाव व पक्षपातपूर्ण व्यवहार के कारण बहुजन समाज आहत है। ऐसे में महत्वहीन पद पर बने रहने का औचित्य नहीं है, इस कारण त्यागपत्र दे रहा हूं। हालांकि वह भी मौर्य की तरह बगैर पद के पार्टी में काम करते रहेंगे।
पीडीए के ही मुद्दे को लेकर पहले अपना दल कमेरावादी की पल्लवी पटेल ने नाराजगी दिखाई थी, बाद में स्वामी प्रसाद ने राष्ट्रीय महासचिव का पद छोड़ दिया था। कमलाकांत ने त्यागपत्र में लिखा है कि आज तक मुझे कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई। बिना किसी जिम्मेदारी व जवाबदेही के पार्टी का जनाधार नहीं बढ़ाया जा सकता। गौतम का कहना है कि वह सदैव सामाजिक परिवर्तन के संघर्ष में हिस्सा रहे हैं। वंचित समाज को हक और अधिकार दिलाने में प्रयासरत रहता रहता हॅू। उन्होंने मौर्य के साथ पार्टी में भेदभाव, पक्षपातपूर्ण व्यवहार और उपेक्षा की बात उठाते हुए लिखा है कि इससे बहुजन समाज आहत है। ऐसे में महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं समझता हूं। मैं सपा के प्रदेश सचिव पद से त्याग पत्र दे रहा हूं। बिना पद के कार्य करता रहूंगा।

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