चन्दन अग्रहरि
शाहगंज, जौनपुर। आजादी के बाद से पसमांदा मुसलमानों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने वालों के होश तब उड़े जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुसलमानों की बात के साथ उनके उद्धार के लिए कदम उठाए। पिछड़ा पिछड़ा एक समान, हिन्दू हो या मुसलमान के नारे के साथ प्रधानमंत्री ने मुसलमानों की भलाई के लिए बड़ा कदम उठाया है। उक्त बातें पसमांदा मुस्लिम मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष जावेद मलिक ने नगर के आजमगढ़ रोड स्थित एक होटल में आयोजित सम्मेलन में कही।
उन्होंने आगे कहा कि देश में दो करोड़ की आबादी वाले सिख समाज ने मुख्यमंत्री बनाया लेकिन 25 करोड़ की आबादी वाला मुस्लिम समाज आपसी लड़ाई और पसमांदा समाज को डराने, बांटने, भड़काने और बेचने के फ़ेर में पीछे होता चला गया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में केवल 4 प्रोफेसर पसमांदा समाज से हैं। यहां पसमांदा मुसलामानों के लिए कोई आरक्षण नहीं जबकि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में पसमांदा मुसलमानों को आरक्षण मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि मोदी और योगी सरकार में किसी भी योजना का लाभ सभी को बराबर मिल रहा है। पसमांदा समाज के लोगों को अपनी ही कौम के लोगों ने बर्बाद किया। देर हुई लेकिन सही समय आ गया है कि अब अपनी भलाई और भविष्य के लिए गम्भीर हों। लोकसभा चुनाव में मुसलामानों का एक वर्ग पसमांदा मुसलमानों को बांटने, बेचने और भड़काने निकलेगा लेकिन इनसे दूर रहने की जरूरत है। सम्मेलन को मदरसा शिक्षा बोर्ड के सदस्य इमरान सलमामी, भाजपा नेता प्रदीप जायसवाल आदि ने भी संबोधित किया। संचालन मुस्तकीम अहमद ने किया। अंत में मंडल अध्यक्ष चिंताहरण शर्मा ने आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर डाॅ. तारिक बदरुद्दीन शेख, इरशाद मुख्तार, फुरकान मुमताज, बाबा समद, ओम चौरसिया, गुफरान अंसारी, सेराज आतिश, फैजान अंसारी, बेलाल आतिश, शाह आलम, मो. शाहिद, डाॅ. दिल नवाज, अबू सूफियान समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।
भारतीय पसमांदा मुस्लिम मंच ने किया मुस्लिम युवा सम्मेलन
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