Sunday, April 28, 2024
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वैदिक होली मनायें, पर्यावरण बचायें

  • गाय के गोबर के कंडी/हवन सामग्री से क्यों करना चाहिये होलिका दहन?
  • नारायण का ही रूप हैं अग्निदेव

अमित निगम
होलिका दहन में अग्नि की पूजा करने का विधान है। अग्निदेव की पूजा से अच्छी सेहत और दीर्घायु प्राप्त होती है। पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के अनन्य रूपों में से एक रूप अग्निदेव का है। अतः इस दिन अग्नि पूजा का बहुत महत्व है। पुराणों के अनुसार परमब्रह्म अग्निदेव पंच तत्वों में प्रमुख माने जाते हैं जो सभी जीवों के शरीर में अग्नि तत्व के रूप में विराजमान रहते हुए जीवन भर उनकी रक्षा करते हैं। अग्निदेव सभी जीवों के साथ एक समान न्याय करते हैं, इसलिए सनातन धर्म को मानने वाले सभी लोग भक्त प्रहलाद पर आए संकट को टालने और अग्निदेव द्वारा ताप के बदले उन्हें शीतलता देने की विनती करते हैं। मानव शरीर में आत्मारूपी अग्नि अपनी ऊर्जाएं फैलाए हुए हैं, इससे ही मानव जीवन चलता है। होलिका दहन में जो भी सामग्री डाली जाती है, वह अग्निदेव ही देवताओं को पहुंचाते हैं। इनका वर्णन भारत के प्राचीनतम वेद पुराणों में मिलता है। अग्नि की पूजा/प्रार्थना/उपासना से साधक धन, धान्य, के साथ प्रसिद्धि प्राप्त करता है। उसकी शक्ति, प्रतिष्ठा एवं परिवार आदि की वृद्धि होती है।

  • क्या है परम्परा

होलिका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ नया अन्न यानि गेहूं, जौ एवं चना की हरी बालियों को लेकर पवित्र अग्नि में समर्पित करना चाहिए एवं बालियों को सेंक करके परिवार के सभी सदस्यों को उसे प्रसाद स्वरुप ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने से घर में शुभता का आगमन होता है। धर्मरूपी होली की अग्नि को अति पवित्र माना गया है, इसलिए लोग इस अग्नि को अपने घर लाकर चूल्ला जलाते हैं। कहीं-कहीं तो इस अग्नि से अखंड दीप जलाने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इससे न केवल कष्ट दूर होते हैं। सुख-समृद्धि भी आती है। यदि आप होली की अग्नि को लेकर इससे अखंड दीपक जल रहे हैं तो इसे घर की दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना शुभ रहेगा। इस दिशा में दीपक रखने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, घर के सदस्यों को प्रसिद्धि मिलती है।

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