देवी—देवता, ग्रंथ, मन्दिर पर टिप्पणी करने का कानून बनाया जाय: अजय पाण्डेय
जौनपुर। धर्म रक्षा आन्दोलन का कलेक्ट्रेट परिसर में चल रहा धरना शुक्रवार को सातवें दिन समाप्त हो गया जहां तमाम लोगों ने सहभागिता की तो अनेक संगठनों का समर्थन मिला। इस मौके पर वक्ताओं में से कुछ ने श्री रामचरित मानस को सामाजिक समरसता वाला ग्रंथ बताया तो कुछ लोगों ने भगवान श्रीराम के जीवन को अनुकरणीय मानते हुए समाज के सभी लोगों को आपस में जोड़ने एवं भाईचारा बनाने वाला ग्रंथ बताया। कुछ वक्ताओं ने मात्र सनातन धर्म पर आक्रमण करने की प्रवृत्ति पर अपना आक्रोश एवं दुख व्यक्त किया।
इसी क्रम में अजय पाण्डेय जिलाध्यक्ष अंतराष्ट्रीय हिंदू परिषद अपने तमाम पदाधिकारियों सहित उपस्थित हुये जहां उन्होंने अपने सम्बोधिन में कहा कि भारत वर्ष संस्कृतियों वाला देश है। चंदन है इस देश की माटी, तपोभूमि हर ग्राम है। हर बाला देवी की प्रतिमा, बच्चा—बच्चा राम है। यह रहा है हमारे देश का संस्कार। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरितमानस ग्रंथ पर टिका टिप्पणी करने वाले हमारे वेद व धर्म पर अपशब्द और कुठाराघात करने वाले बेहिचक अपनी राजनीति चलाने के लिए क्या कुछ नहीं कर जाते हैं।
श्री पाण्डेय ने कहा कि पूरे विश्व की व्यवस्था मेरे भारत से चलता था। आज वही देश है परन्तु शासन सत्ता पर आसीन वर्तमान के शासक उचित कार्रवाई करने से भी कतरा रहे हैं, आखिर क्यों? क्यों नहीं संविधान में ऐसा कानून लागू किया जाना चाहिए कि भारत में रहने वालों में कोई भी यदि धर्म, वर्ण, देवी, देवता, मठ, मंदिर पर अभद्र टिप्पणी करता है तो उसको मृत्युदण्ड जैसा कठोर दण्ड दिया जाय।
कार्यक्रम समापन पर आंदोलन के संचालक/संयोजक चंद्रमणि पाण्डेय ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया। साथही इस आंदोलन को आगे और तेज़ करने का आह्वान किया। इस अवसर पर विकास पाण्डेय, एडवोकेट रूद्र प्रताप श्रीवास्तव, राम नगीना यादव, विजय बहादुर सिंह, अजय सिंह, अतुल शुक्ला, सुदामा उपाध्याय, राकेश श्रीवास्तव, जितेंद्र सिंह चौहान, चंद्र प्रकाश तिवारी, नागेंद्र, अजय सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
धर्म रक्षा आन्दोलन का धरना 7वें दिन समाप्त, सौंपा गया ज्ञापन
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