मत पिया दरूआ-शराब
मत पिया दरूआ-शराब,
जमके तू खेला बस होलिया।
करा न तू जिनगी खराब,
मनभर खेला बस होलिया। (2)
सुना मधुशाला राजा कबहूँ न जइहा,
बीड़ी, सिगरेट,खइनी कुछ मत खइहा।
कुछ मत खइहा हो, कुछ मत खइहा,
कुछ मत खइहा हो, कुछ मत खइहा,
क़ायम रही तोहरो शबाब,
मनभर खेला बस होलिया।
करा न तू जिनगी खराब,
मनभर खेला बस होलिया।
मत पिया दरूआ-शराब,
जमके तू खेला बस होलिया।
गांजा, अफीम, कोकिन हउवे जानलेवा,
कितने चरसियन के वीबी भइलीन बेवा।
वीबी भइलीन बेवा हो, वीबी भइलीन बेवा,
वीबी भइलीन बेवा हो, वीबी भइलीन बेवा,
पियले से मिली न खिताब,
मनभर खेला बस होलिया।
करा न तू जिनगी खराब,
मनभर खेला बस होलिया।
मत पिया दरूआ-शराब,
जमके तू खेला बस होलिया।
मदहोश अँखियाँ से चाहे जितना पिया,
लत नाहीं पड़ी तव हजारों साल जिया।
हजारों साल जिया हो, हजारों साल जिया,
हजारों साल जिया हो, हजारों साल जिया,
उमड़ी मोहब्बत कै सैलाब,
मनभर खेला बस होलिया।
करा न तू जिनगी खराब,
मनभर खेला बस होलिया।
मत पिया दरूआ-शराब,
जमके तू खेला बस होलिया।
मत दोहरावा घीसू-माधव कै कहानी,
अइबा जब चपेट में तो होई बड़ी हानि।
होई बड़ी हानि हो, होई बड़ी हानि,
होई बड़ी हानि हो, होई बड़ी हानि,
फिर न हो बुधिया बर्बाद,
मनभर खेला बस होलिया।
करा न तू जिनगी खराब,
मनभर खेला बस होलिया।
मत पिया दरूआ-शराब,
जमके तू खेला बस होलिया।
रामकेश एम. यादव, मुम्बई
(कवि व लेखक)