- योग हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग: कुलपति
- भारतीय संस्कृति और योग एवं लोक कलाओं का संरक्षण सत्रों का हुआ आयोजन
विरेन्द्र यादव
सरायख्वाजा, जौनपुर। कल्चरल क्लब एवं पूर्वांचल विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग की ओर से 5 दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को भारतीय संस्कृति और योग एवं लोक कलाओं और संस्कृति का संरक्षण विषयक सत्रों का आयोजन किया। संस्कृति विभाग उ.प्र. के सहयोग से आयोजित की जा रही कार्यशाला संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन, प्रदर्शन, दस्तावेजीकरण पर आधारित है।
प्रशिक्षण सत्र में बतौर मुख्य वक्ता ख्यातिलब्ध लेखक और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ. धनंजय चोपड़ा ने कहा कि लोक संस्कृति मानव मूल्यों पर आधारित है, अगर आपके जीवन में मूल्य नहीं है तो जीवन व्यर्थ है। न्यू मीडिया के दौर में लोक कलाओं और किताबों से जुड़े रहे तभी रच पायेंगे। लोक कलाकारों के पास जो स्मृतियां हैं, उसका दस्तावेजीकरण करें। गाँव के लोग बहुत सृजनधर्मीं होते हैं। चलते लोकगीतों की रचना करते हैं। रिकॉर्डर के माध्यम इसे सुरक्षित कर लेखन करें। विभिन्न लोक कलाओं के बारे में विस्तार से बताते हुये उन्होंने कहा कि लोक कलाकारों ने सिर्फ मनोरंजन ही नहीं किया, बल्कि चेक गणराज्य में सत्ता के खिलाफ आवाज भी कठपुतलियों ने उठाई है।
योग एवं भारतीय संस्कृति सत्र में संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि योग हमारी भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है। विद्यार्थी अपनी दिनचर्या में इसे शामिल कर तन और मन को शुद्ध रख सकते हैं। भारत के ऋषियों ने भी योग के महत्व को बखूबी समझा है। योगाचार्य जय सिंह ने प्रतिभागियों को योग, ध्यान और प्राणायाम कराया और कहा कि मन को नियंत्रित करने के लिए योग करें। अवधूत भगवान राम पीजी कॉलेज अनपरा सोनभद्र के प्राचार्य डॉ अजय विक्रम सिंह ने युवाओं को भारत के महापुरुषों के बारे में बताया।
जनसंचार विभाग के अध्यक्ष प्रो मनोज मिश्र ने विविध लोक कलाओं पर विस्तार से अपनी बात रखी और लोक गीतों को सुनाया। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी लोक गीतों की मिठास को समझे। कार्यशाला संयोजक डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने अतिथियों का स्वागत एवं आयोजन सचिव डॉ. सुनील कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर डॉ. राजकुमार सोनी, डॉ सुधाकर शुक्ल, डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. चन्दन सिंह, डॉ. सुरेन्द्र यादव, सोनम विश्वकर्मा, अमित मिश्रा समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।