Monday, April 29, 2024
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डा. काशी प्रसाद जायसवाल को मरणोपरान्त भारत रत्न मिलना चाहिये

ध्रुवचन्द जायसवाल
पिछले कई वर्षों से भारत सरकार से डा. काशी प्रसाद को मरणोपरांत भारत रत्न देने की मांग की जा रही है किन्तु केन्द्र सरकार द्वारा अनसुनी की जा रही है। अभी भी समय है। केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि लोकसभा चुनाव से पहले डा. काशी प्रसाद जायसवाल को मरणोपरांत भारत रत्न दिया जाय, अन्यथा 2024 के लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनेगा, क्योंकि वर्तमान केन्द्र सरकार ने अपने कार्यकाल में 7 महानुभावों अटल बिहारी वाजपेई, नानाजी देशमुख, मदन मोहन मालवीय, भुपेंद्र हजारे, प्रणव मुखर्जी, कर्पूरी ठाकुर एवं लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिया है। जायसवाल समाज के सभी संगठनों ने अपने स्तर से भारत रत्न देने की मांग करते आ रहे हैं किन्तु वर्तमान केन्द्र सरकार ने मांग को अनुसूची करती रही है। देश भरके स्वजातीय बन्धुओं में खिन्नता एवं रोष है। करोड़ों स्वजातीय बन्धुओं की भावनाओं को साझा करते हुए एक बार पुनः वर्तमान केन्द्र सरकार ने अनुरोध है कि 2024 के लोकसभा में चुनाव पूर्व डॉ. काशी प्रसाद को मरणोपरांत भारत रत्न देकर करोड़ों लोगों की भावनाओं को सम्मान दिया जाय।
काशी प्रसाद जायसवाल देश को गुलामी से मुक्त कराने हेतु अग्रणी पंक्ति के स्वतंत्रता सेनानी एवं महान व्यक्तित्व, अद्भुत, अन्तर्राष्ट्रीय इतिहासविद विद्वान थे। उन्होंने प्राचीन इतिहास, विधिवेत्ता, पुरातत्वज्ञ प्राचीन लिपि मर्मज्ञ, लुप्त इतिहास, मुद्रा शास्त्री, सूक्ष्म अन्वेषण भारतीय सभ्यता संस्कृति के अनन्य पुजारी भी थे। ग्रीक, लेटिन, जर्मन, फ्रेंच, इंग्लिश, चीनी, तमिल, तेलुगू, हिंदी, संस्कृत आदि 35 देशी व विदेशी भाषाओं के जानकार थे। डा. काशी प्रसाद जायसवाल एम.ए., डी.लिट, बार-एट-ला किया था। उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय के उप कुलपति सर आशुतोष मुखर्जी ने प्राचीन इतिहास विभाग में अध्यापन का कार्य सौंप दिया। क्रांतिकारी प्रवृत्ति का व्यक्ति इतिहास पढ़ाए यह सरकार कैसे बर्दाश्त कर सकती थी। डॉ काशी प्रसाद ने कई पुस्तकें भी प्रकाशित हुई थीं जो देश एवं विदेश के महाविद्यालयों में पढ़ायी जाती हैं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी में महामना मदन मोहन मालवीय की उपस्थिति में डा. काशी प्रसाद को डाॅक्टर आफ फिलोसॉफी की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। डा. काशी प्रसाद ने डार्कनेस आफ इंडिया में वर्णन किया है कि भारत में गुप्तकाल ही स्वर्ण युग रहा है। यह भी साबित किया कि चीन और जापान का आध्यात्मिक गुरु भारत ही था।
डॉ. काशी प्रसाद को भारत के महान विभूतियों, साहित्यकारों एवं राजनेताओं द्वारा कही हुई शब्दों से उनके व्यक्तित्व के महानतम होने का अंदाजा लगाया जा सकता है। महात्मा गांधी के शब्दों में-भारत के बाग का एक सुन्दर गुलाब का फूल सूख गया। डॉ राजेंद्र प्रसाद के शब्दों में अंतरराष्ट्रीय ख्यात के पंडित हमारे बीच में नहीं रहे गुलाम भारत में जन्म लेकर भी डॉ. काशी प्रसाद ने जितनी खोजें की अगर भारत स्वतंत्र होता तो उन्हें सर्वोच्च सम्मान से विभूषित किया जाता। जवाहर लाल नेहरू के शब्दों में अपने लेख में डिस्कवरी ऑफ इंडिया में लिखा कि डा. काशी प्रसाद प्राचीन इतिहास के मामले में सही रूप से जानकार थे और उनके ज्ञान की प्रशंसा की। विश्वकवि रवींद्रनाथ ठाकुर- डा. काशी प्रसाद जायसवाल मेरे कला के सच्चे व स्टीक पारखी थे। सर आशुतोष मुखर्जी- जायसवाल जी अपनी साधना से भारत का मुख उज्जवल किया। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के शब्दों में- डा. जायसवाल जी का प्रेम मेरे जीवन में सूर्य बनकर उदय हुए मेरे भीतर कमल बंद था, उसके दल स्वयंमेव उन्मुख होने लगा। डा. निरंजन रे के शब्दों में- काशी प्रसाद जी युगांतरकारी महापुरुष थे। राहुल सांकृत्यायन के शब्दों में- श्रद्धेय डा. जायसवाल जी जैसा बड़ा विद्वान भारत में पैदा नहीं हुआ। महावीर प्रसाद द्विवेदी के शब्दों में- डा. काशी प्रसाद इतिहास पुरातत्व वेत्ता थे। प्रसिद्ध उपन्यासकार अमृत लाल नागर ने अपने लेख में लिखा कि मुझे हुमायूं की जान बचाने वाले निजामुद्दीन भिश्ती की तरह चार घड़ी का समय मिल जाय तो गांव गांव-गांव, नगर-नगर में डा. काशी प्रसाद की मूर्ति लगवाने का हुक्म दे दूं। वर्तमान केन्द्र सरकार डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल को भारत रत्न देने से चूंकि तो इतिहास उन्हें माफ़ नहीं करेगा।
लेखक अखिल भारतीय जायसवाल सर्ववर्गीय महासभा के प्रदेश अध्यक्ष हैं।

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