चिन्ता में किसान बा…
बिना बारिश के खेतवा सूखान बा,
चिंता में किसान बा ना।
कइसे होई अब रोपाई, जेब -पइसा ना पाई,
महंगे डीजल से जनता परेशान बा,
चिंता में किसान बा ना।
बिना बारिश के खेतवा सूखान बा,
चिंता में किसान बा ना।
नदी-नाले सब सूखे, उड़ते बादल भी रूठे,
बिना पानी के ज़िन्दगी बेजान बा,
चिंता में किसान बा ना।
बिना बारिश के खेतवा सूखान बा,
चिंता में किसान बा ना।
वॉटर लेवल भागल नीचे, हैंडपाइप आँख मीचे,
गोरू-बछरू कै आफत में जान बा,
चिंता में किसान बा ना।
बिना बारिश के खेतवा सूखान बा,
चिंता में किसान बा ना।
करजा काढ़ी खेती कइली, बिना अन्न कै हम भइली।
बिना बादर के देखा आसमान बा।
चिंता में किसान बा ना।
बिना बारिश के खेतवा सूखान बा,
चिंता में किसान बा ना।
कइसे झुलनी गढ़वइबै, कइसे लड़िका पढ़इबै ,
सोची-सोची के ई जियरा हैरान बा।
चिंता में किसान बा ना।
बिना बारिश के खेतवा सूखान बा,
चिंता में किसान बा ना।
रामकेश एम. यादव, मुम्बई
(कवि व लेखक)