Sunday, April 28, 2024
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गल्त को गल्त कहने की आदत हो

 

व्यंग्य वाणों की कोई कमी नहीं है,
अतः सुनने की आदत डालनी होगी,
टाँगे खींचने वालों की कमी नहीं है,
अतः उनसे बचने की सोचनी होगी।

रुलाने वाले हर जगह मिलते हैं,
अतः मुसुकाने की आदत डाल लो,
निरुत्साहित तो लोग करते ही हैं,
प्रोत्साहित होने की आदत डाल लो।

राहें भटकाने वाले हर जगह मिलेंगे,
सही राह जान लेने की आदत हो,
सच का साथ देने वाले कम नही हैं,
गल्त को गल्त कहने की आदत हो।

पतवार सम्भालते हुए नाविक हवा
की दिशा वह नहीं बदल पाता है,
नौका सही दिशा में बढ़ती जाय,
पतवार इस तरह से चलाता है।

जीवन में अनेकों झंझावात आते हैं,
हमें स्वयं अपने सद्गुणों के द्वारा इन
झंझावातों को दरकिनार कर जीवन
नैय्या को आगे बढ़ाते जाना चाहिए।

ईमानदारी से कर्तव्य करने वालों
का शौक़ भले ही पूरा न हो सके,
परन्तु ऐसे कर्तव्यशील व्यक्तियों
की रात की नींद ज़रूर पूरी होती है।

अच्छाइयाँ किसी न किसी रूप में
यकायक ही हमें मिलती हैं इसलिए
आदित्य दूसरों के लिए सदा अच्छा
सोचना व अच्छा ही करना चाहिए।

कर्नल आदिशंकर मिश्र
जनपद—लखनऊ

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