Sunday, April 28, 2024
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हार्ट अटैक: बढ़ा मौतों का आंकड़ा, रहें अलर्ट

सुरेश गांधी
हार्ट अटैक ‘साइलेंट किलर’ बनता जा रहा है। अक्सर ठंड बढ़ने के साथ ही हार्ट अटैक के मामले बढ़ने लगते हैं। सर्दियों में शरीर के तापमान में कमी, विटामिन डी के स्तर में कमी और रक्त के गाढ़ेपन में वृद्धि हृदय रोगों का जोखिम बढ़ा देती है। एक रिसर्च के मुताबिक गर्मियों के मुकाबले सर्दी के मौसम में हार्ट अटैक और स्ट्रोक से होने वाली मौत के मामले 26 से 36 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। दरअसल ठंड के मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ब्लड को पंप करते समय रक्त कोशिकाएं सिकुड़ जाती हैं। इससे हृदय के कामकाज में परेशानी होती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है। 2023 का साल हार्ट अटैक के नाम रहा। इस साल हार्ट अटैक से हुई मौतों का आकड़ा सबसे ज्यादा रहा। हार्ट अटैक ने इस साल किसी उम्र को नही बख्शा। हमने इस साल 16 साल के बच्चे से लेकर जवान और बुजुर्ग सभी को हार्ट अटैक की वजह से मरते देखा। कभी जिम में वर्क आउट करते हुए कभी शादी-पार्टी के फंक्शन में डांस करते हुए इन तस्वीरों ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल अचानक हुई मौतों के आकड़े में 14 फीसदी की बढ़ते देखी गई जिनमें ज्यादातर मामले हार्ट अटैक के थे। 2022 में 56,653 लोगों की सडन डेथ हुई जिनमें 57 फीसदी मौते हार्ट अटैक की वजह से हुई। ये आकड़े कैंसर से हुई मौतों से कहीं ज्यादा रहे।
भागम—भाग भरी खराब लाइफ स्टाइल और खान—पान की वजह से हार्ट अटैक का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। ठंड में हर साल हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि होती है। डॉक्टरों का कहना है कि ठंड में अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने से नसों में ब्लड क्लॉटिंग यानी खून का थक्का जमने लगता है। इसी वजह से हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक पड़ता है। या यूं कहे ठंड में ब्लड वेसल्स सिकुड़ने के कारण शरीर में ब्लड फ्लो सही नहीं रह पता है। इस वजह से दिल पर अधिक दवाब पड़ता है और हार्ट अटैक की स्थिति बनती है। ठंड के मौसम में नसें ज्यादा सिकुड़ती है और सख्त बन जाती हैं। इससे नसों को गर्म और एक्टिव करने के लिए ब्लड का फ्लो बढ़ जाता है जिससे ब्लड प्रेशर भी बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर बढ़ने से हार्ट अटैक होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसके अलावा सोते समय शरीर की एक्टिविटीज स्लो हो जाती हैं। बीपी और शुगर का लेवल भी कम होता है लेकिन उठने से पहले ही शरीर का ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम उसे सामान्य स्तर पर लाने का काम करता है। यह सिस्टम हर मौसम में काम करता है लेकिन ठंड के दिनों में इसके लिए दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। इससे जिन्हें हार्ट की बीमारी है, उनमें हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। अगर समय रहते इलाज नहीं मिला तो हार्ट अटैक के 2-3 घंटों के अंदर ही मौत की संभावना बढ़ जाती है।
3 सालों में दिल का दौरा पड़ने से मौत का आंकड़ा काफी ज्यादा बढ़ा है। हार्ट स्पेशलिस्टों की माने तो कोविड 19 के बाद दिल की बीमारियों का खतरा कई गुना तक बढ़ गया है। एनसीआरबी द्वारा जारी आकड़ों में साल 2022 में 32140 लोगों की जान सिर्फ और सिर्फ हार्ट अटैक के कारण हुई जो उससे पिछले साल की तुलना में 14 फीसदी ज्यादा थी। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 12,591, केरल में 3,993 और गुजराल में 2,853 मौतें हार्ट अटैक की वजह से हुई। हार्ट अटैक में मरने वालों में जहां 28,005 पुरूष रहे। वहीं महिलाओं की संख्या 22,000 के आस-पास रही। हालांकि एक्सपर्ट्स की माने तो उन्होंने हार्ट अटैक से हुई मौतों के लिए इंटेंस वर्कआउट और खराब लाइफ स्टाइल को ही दोषी बताया। एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, जिन्हें पहले से दिल संबंधी बीमारियां होती हैं। सर्दियों में उनमें हार्ट अटैक का खतरा 31 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। केवल बनारस में ही हर दिन लगभग 580 से 1090 मरीज पहुंच रहे हैं जिनका बीपी बढ़ा हुआ आ रहा है। वहीं हार्ट अटैक के मरीज भी अब अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। इसमें 35 से 50 वर्ष तक के लोगों की संख्या अधिक है। इससे बचने के लिए नियमित चेकअप कराते रहें और ठंड से अपना बचाव करें।
रिसर्च के मुताबिक कोरोना से रिकवर होने वाले 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। रिसर्च कहती है कि जितना ज्यादा संक्रमण बढ़ेगा, भविष्य में उतने ज्यादा बुरे साइड-इफेक्ट का खतरा बढ़ेगा। कोरोना से रिकवर होने वाला हर 7 में से 1 इंसान हार्ट डैमेज से जूझ रहा है। यह सीधे तौर पर उनकी फिटनेस पर असर डाल रहा है। कोरोना महामारी के बाद यह गंभीर समस्या बन गया है। इसके पहले तक हार्ट की बीमारियां उम्र बढ़ने के साथ आया करती थीं लेकिन अब कम उम्र यहां तक की बच्चे भी इसकी चपेट में आने लगे हैं। सर्दी के दिनों में खासतौर पर सर्दी में हाथ पैर की नस सिकुड़ जाती है। उसमें खून पास करने के लिए ज्यादा प्रेशर हार्ट को लगता है। ऐसे में बीपी बढ़ जाता है। हर उम्र के लोगों को यह रोग हो रहा है। इसमें इन दिनों ज्यादातर मरीज अब 35 से 50 वर्ष के आस—पास के ज्यादा आ रहे हैं। इस समय शरीर में एपिनेफ्रिन और कोर्टिसोल हार्मोन कालेवल बढ़ जाता है। इनके बढ़ने से शरीर में ब्लड प्रेशर बढ़ता है और ऑक्सीजन की मांग भी ज्यादा होती है जिसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है। बीपी बढ़ने और ऑक्सीजन की अधिक डिमांड के कारण हार्ट पर प्रेशर बढ़ता है और अटैक आ जाता है। नियमित बीपी की दवा खाते रहना खहिए।

मध्यम वर्ग के 80 फीसदी मामले
आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से होती हैं। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक दुनिया भर में हर 3 में से 1 मौत हृदय रोग से हो रही है। इसके 80 फीसदी मामले मध्य आय वर्ग वाले देशों में सामने आते हैं। हार्ट अटैक जिसे मेडिकल भाषा में मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन कहा जाता है, यह एक एमरजेंसी कंडीशन है जो गंभीर स्थिति में इंसान की जान ले सकती है। पर्याप्त खून का ना मिल पाने के कारण आपका दिल काम करना बंद कर देता है जिस वजह से हार्ट अटैक आता है। यह आम तौर पर धमनियों (ब्लड वेसल्स) में रुकावट के कारण होता है जो आपके दिल तक ब्लड सप्लाई (खून की आपूर्ति) करती हैं। दौरा दिल को बहुत नुकसान पहुंचाता है और अगर इस स्थिति में तुरंत दिल तक खून की सप्लाई ना हो तो इंसान की मौत भी हो सकती है।

बचने के उपाय: लाइफस्टाइल में बदलाव करें:—
हेल्दी डाइट ही अपनायें। खाने में एक्स्ट्रा फैट, ऑयल, मांस से बचें, हरी सब्जियां, फल, नट्स, मछली शामिल करें। सिगरेट-शराब का ज्यादा सेवन करने से बचे। ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को नॉर्मल रखने की कोशिश करें। नियमित तौर से एक्सरसाइज करें. शरीर का वजन बढ़ने न दें। मेडिटेशन, ब्रीदिंग टेक्नीक और योग का अभ्यास करें। डॉक्टर से समय-समय पर सलाह लेते रहें।

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