- मनेछा में जलसा-ए-दस्तारबंदी का हुआ आयोजन
राकेश शर्मा
खेतासराय, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के मनेछा स्थित मदरसा अरबिया बहरूल उलूम में जलसा-ए-दस्तारबंदी का आयोजन हुआ। सोमवार की देर शाम कुरान शरीफ़ के कंठस्थ पाँच छात्रों को हिफ्ज़ की उपाधि दी गई। हाफिज़-ए—कुरान की डिग्री पाकर बच्चे ख़ुशी से झूम उठे। उलेमाओं ने उन्हें अल्लाह के बताए हुए मार्ग पर चलने की शपथ दिलाई। कहा कि तालीम से ही सभी सफलताओं को प्राप्त कर सकते है। यहाँ आयोजित कार्यक्रम का प्रारंभ कारी मो दानिश ने तेलावत-ए पाक से किया। मदरसे के नन्हें मुन्ने बच्चों ने एक से बढ़कर संस्कृति कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। नात-ए पाक मो दानिश के कई परस्तुति को लोगों ने ख़ूब पसन्द किया।
दर्जन भर आलिम-ए दीन ने अपने विचार रखे। बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद गुरैनी मस्जिद के इमाम-ए ख़तीब मुफ़्ती मो. शमीम अहमद ने अपने सम्बोधन में कहा कि तालीम की पहली पाठशाला माँ होती है, ऐसे में महिलाओं को अपने बच्चे की तालीम आगे आना चाहिए। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि तालीम से दूरी की वजह से एक अच्छे समाज की संरचना बेहद मुश्किल है। उन्होंने शिक्षा पर ज़ोर दिया।
सदारत शमीम अख़्तर ने किया जबकि संचालन मो अहमद ने की। हाफिज़-ए कुरान के पाँच छात्रों को डिग्री दी गई जिसमें मो हाशिम, रेहान, शेयान, रायद व ताबिश शामिल रहे। इन छात्रों को हाफिज़ मो. ग़ालिब ने हिफ्ज़ मुक़म्मल कराया। इस मौके पर प्रमुख रूप से मुफ़्ती मो. शाहिद, सिराज प्रधान, मो. फैज़, इरफ़ान अहमद, सकलैन, मुजीबुर्रहमान, अबू ज़ैद, आरिफ़, अब्दुर्रहमान आदि शामिल रहे।