जौनपुर। जामिया ईमानिया नासिरया जौनपुर में जामिया ईमानिया नासिरया के पूर्व प्रधानाचार्य एवं पूर्व इमामे जुमा शिया जामा मस्जिद नवाब बाग़ आयतुल्ला मौलाना महमूदुल हसन खां मरहूम की बरसी पर ईसाले सवाब के लिए आयोजित मजलिसे तरहीम में जामिया नाज़मिया लखनऊ के पूर्व प्रधानाचार्य आयतुल्ला मौलाना सैय्यद हमीदुल हसन तक़्वी ने कहा कि हर इन्सान को ज़िन्दगी में सूझबूझ और हिक्मत से काम लेना चाहिए।
एक कामयाब इन्सान वही है जो मामेलात में खरा हो। हिन्दुस्तान के शिया उल्मा का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे उल्मा का सम्मान इराक़ और ईरान के उल्मा की निगाह में आज भी बहुत है, इसलिए हम में किसी तरह का एहसासे कमतरी (हीन भावना) नहीं होना चाहिए।
मजलिस में आयतुल्ला मौलाना सैय्यद हमीदुल हसन ने हज़रत इमाम हुसैन अलै. का मसायब पढ़ते हुए उनकी शहादत का ज़िक्र किया कि किस तरह से इमाम हुसैन अलै. को कर्बला में तीन दिन का भूखा प्यासा शहीद किया गया। मजलिस में मौजूद तमाम मोमेनीन की आंखें अश्कबार हो गईं।
मौलाना सैय्यद शमीम हैदर रिज़वी शिवली आज़मगढ ने तिलावते कुराने मजीद किया तो सैय्यद अली काविश ने सोज़ख़ानी की। सादिक जलालपुरी और मेंहदी मिर्ज़ापुरी ने कलाम पेश किया। मजलिस का संचालन मौलाना सैय्यद आबिद रज़ा रिज़वी मोहम्मदाबादी ने किया। अन्त में आयोजक आयतुल्ला मौलाना महमूदुल हसन खां मरहूम के पुत्र मौलाना महफुज़ुल हसन खां प्रधानाचार्य जामिया ईमानिया नासिरया एवं इमामे जुमा शिया जामा मस्जिद नवाब बाग़ ने सभी के प्रति आभार जताया।