मानव जीवन में आत्म नियंत्रण का,
उसे आत्मसात् करने महत्व होता है,
जीवन की विषम परिरिस्थिति में
भी मानव तभी जीत पा सकता है।
वाहन की तीव्र गति होने से उस पर
नियंत्रण कर पाना मुश्किल होता है,
मानव मन की गति भी तीव्र होती है,
तब उस पर नियंत्रण कठिन होता है।
जिसे नियंत्रित कर पाने में स्वयं के
क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या,
जैसे दुर्गुण तत्व अवरोधक होते हैं,
जीवन में प्राय: हमें बाधा पहुँचाते हैं।
ईश्वर ने मनुष्य को अथाह ऊर्जावान
बनाकर सकारात्मकता के साथ उसे
जीवन जीने का एक साधन दिया है,
तभी वह निरंतर उन्नति कर पाता है।
परंतु मन के यह विकार मनुष्य को
नकारात्मकता की ओर ले जाते हैं,
और धीरे धीरे यह व्यसन बन कर
मनुष्य को पतन की ओर ले जाते हैं।
मनुष्य तब जीवन में उन्नति के पथ
पर अक्सर आगे नहीं बढ़ पाता है,
जीवन में इन व्यसनों से बचने का
मात्र साधन आत्म नियंत्रण होता है।
यानी स्वयं को नियम संयम का पथ
चुनने का एहसास होना चाहिए,
इसके लिये जीवन में मनसा, वाचा,
कर्मणा प्रतिपादित होना चाहिये।
जीवन में औदार्य, प्रेम, धैर्य, क्षमा,
दया, तप, त्याग, एकाग्रता आदि
गुणों का उचित समावेश किया जाये,
व सद्गुणों को अंगीकृत किया जाय।
आदित्य इन सकारात्मक गुणों से
आत्मसंयम का अपने व्यक्तित्व
में हम उचित समावेश कर पाते हैं,
और रचनात्मक उन्नति कर पाते हैं।
कर्नल आदिशंकर मिश्र ‘आदित्य’
जनपद—लखनऊ