Monday, April 29, 2024
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स्वतंत्रता दिवस: उपलब्धियां और चिंतन—मनन के बिन्दु

डा. दिलीप सिंह एडवोकेट
मौसमविद्, न्याय शिरोमणि, ज्योतिष शिरोमणि
पृथ्वी के स्वर्ग कश्मीर से लेकर जलधि के स्वर्ग कन्याकुमारी वर्ष हरियाली के स्वर्ग असम चेरापूंजी की पहाड़ियों से लेकर शुष्कता वीरानी और वीरता के स्वर्ग राजस्थान तक फैले हुए दिव्य भव्य और स्वर्ग से भी सुंदर भारतवर्ष में आज पूरा देश स्वतंत्रता का महापर्व मना रहा है। यह पूरा देश स्वयं में संपूर्ण धरती है जहां पर सर्वोच्च हिममंडित हिमालय उत्तुंग के शिखर आसमान को चूमते हैं तो वहीं पर हिंद महासागर इसके पैरों का प्रक्षालन करता है पूर्वोत्तर भारत अपनी हरी भरी हरियाली से इस प्राचीनतम पावनतम देश का श्रृंगार करता है तो पश्चिमोत्तर भारत गुजरात, राजस्थान से पंजाब और जम्मू कश्मीर अपने लहू से देश के स्वतंत्रता की रक्षा करते हुए अपने रक्त से इस देश का और भारत माता का अभिषेक करता है।

ऐसा दिव्य पावन और भव्य भारतवर्ष जैसा देश पूरी दुनिया में और कहीं नहीं है जो एक समय में ईरान से लेकर इंडोनेशिया तक और कजाकिस्तान तिब्बत से लेकर श्रीलंका तक फैला हुआ था और तब यह पूरी दुनिया का सबसे विराट सबसे शक्तिशाली देश था जिसका क्षेत्रफल आज के रूस कनाडा अमेरिका चीन से भी बहुत अधिक था, इसलिए सभी लोग आधी अधूरी स्वतंत्रता दिवस पर देश को एक और अखंड करने का प्रण लीजिए और अपने लिए इस वाक्य को हृदय में धारण कीजिए अपनी आजादी को हम हरगिज मिटा सकते नहीं सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं।
दुनिया में ऐसा कोई भी सुंदर से सुंदर और श्रेष्ठ से श्रेष्ठ पदार्थ नहीं है जो हमारे देश में नहीं पाया जाता है इसकी गंगा जमुना पावन है प्यारी हैं फल फूलों से सारा देश महकता रहता है सबसे अधिक वर्षा वाला देश सबसे अधिक गर्मी वाला देश सबसे अधिक बर्फबारी वाला देश सबसे अधिक समुद्री जल क्षेत्र पर फैला हुआ देश एकमात्र भारत ही है जहां बीच में विंध्याचल के परम पवित्र पर्वत शिखर दुनिया के सबसे प्राचीन भूभाग कहे जाते हैं जहां पैदा होने के लिए स्वर्ग के देवता भी लालायित रहते हैं उसे देश की महानता को शब्दों में व्यक्त कर पाना बहुत ही संभव है।

दुनिया के सर्वोच्च 20 पर्वत शिखर में 17 पर्वत शिखर केवल भारत में है गॉडविन ऑस्टिन के टू एवरेस्ट या गौरीशंकर कंचनजंगा नंगा पर्वत नंदा देवी कैलाश जैसे गगनचुंबी शिखर सदैव वर्ष भर बर्फ से ढके रहते हैं इसकी गंगा यमुना पावन इसकी सावन हरियाली लगी हुई है। फल फूलों से मधु ऋतु की डाली डाली यह भारत भूमि ऐसी है जहां के कण-कण में दिव्य शक्तियां ईश्वर और आदिशक्ति का निवास है। यहां उत्तर में मां वैष्णो देवी हिंगलाज भवानी नंदा देवी केदारनाथ बद्रीनाथ तो दक्षिण में कन्याकुमारी रामेश्वरम तिरुपति बालाजी पश्चिम में भगवान श्रीकृष्ण और भगवान शंकर सोमनाथ और द्वारका में तो पूर्व में पूरी भुवनेश्वर में भगवान जगन्नाथ जी सुभद्रा देवी और बलभद्र तथा पूर्वोत्तर में बगलामुखी देवी कामाख्या देवी का निवास स्थान है। यहां पर मानसून की हवा मलय पवन के झोंके देश में नए जीवन का संचार करते रहते हैं।
जब पूरा देश स्वतंत्रता के हर्षोल्लास में डूबा हुआ है तब हम नमन करते हैं उन वीर प्रसूता माता, बहनों, बेटियों और पत्नियों को जिनके पिता पति भाई और पुत्र देश की आजादी के लिए बलिदान हो गए इसके बाद हम स्मरण करते हैं। उन वीर बलिदानी 7 करोड़ों लोगों को जो लगभग 200 वर्षों में अंग्रेजों से देश को मुक्ति दिलाने के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए जिनका इतिहास में कहीं नामोनिशान नहीं है हम याद करते हैं, उन अमर क्रांतिकारियों को जिनका सौभाग्य के साथ आज इतिहास के पन्नों में नाम हैं। हम याद करते हैं अमर वीर बलिदानी चाफेकर बंधुओं उधम सिंह, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, आजाद, बटुकेश्वर दत्त, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान जैसे सच्चे अमर क्रांतिकारी लाखों वीरों को जिन्होंने देश के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया कितने ही लोगों ने काले पानी की सजा प्राप्त किया कितने लोगों को शैतानों से भी अधिक खूंखार सजा दी गई कितनी ही बहन बेटियां पत्नियां माताएं अंग्रेजों द्वारा बलात्कार की शिकार हुई फिर भी उन्होंने चारु लता रानी लक्ष्मीबाई दुर्गा भाभी बहन निवेदिता के रूप में अपने धर्म अपने कर्म और देश के आजादी की राह नहीं छोड़ी और अपने देश समाज धर्म और परिवार का उत्साह वर्धन करती रही। हम स्मरण करते हैं उन करोड़ों मजदूर की किसानों की जो आज के दिन अपने कार्य में जुटे होकर देश की आजादी के लिए अपना सर्वोच्च सम्मान योगदान दे रहे हैं और उन परमवीर बलिदानी सैनिकों की जो कीचड़ में पानी में बर्फ से ढके हुए पहाड़ों में नदियों में घने जंगलों में देश की रक्षा करते हुए हमें यह स्वतंत्रता समारोह मनाने का सौभाग्य दे रहे हैं। ऑरवेल लाखों परम पूज्य श्री देशभक्त अखंड भारत का स्वप्न पालने वाले वक्ता जो 15 अगस्त के दिन संपूर्ण देश को अपने ओजस्वी भाषण से एकता और अखंडता के सूत्र में बांध देंगे और तब हम कहेंगे सुंदर होंगे बहुत देश और बहुत बड़ी है यह धरती पर अपनी मां अपनी ही है, अमिट प्यार जो है करती।

इस स्वतंत्रता दिवस पर हमें अपने देश के श्वेत श्याम बिंदुओं को याद करते हुए आने वाले समय में अपने कर्मियों को दूर करने का प्रयास करना होगा। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पिछले 1000 वर्ष विधर्मी लोगों और अंग्रेजों तथा यूरोपीय देशों का छल बल द्वारा देश की आजादी को छीन लेने का भारत के लोगों ने तन मन धन से मन वचन कर्म से प्रतिकार किया और कभी भी ऐसा समय नहीं आया कि पूरा देश इन 1000 वर्षों में गुलाम हो गया है। आजादी की लड़ाई निरंतर चलती रही और कहीं देश गुलाम तो कहीं स्वतंत्र होता रहा हमारे देश में ऐसे ऐसे सर्वोच्च महापुरुष युगपुरुष पैदा किए जिनसे न केवल स्वाधीनता काल में, बल्कि परतंत्रता के समय में भी पूरे विश्व में हमारा सिर गर्व से ऊंचा होता रहा आज भारत दुनिया की सबसे बड़ी पांच में आर्थिक शक्ति है। अंतरिक्ष विज्ञान और विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत का डंका बज रहा है। भारत बहुत तेजी से उभरता हुआ दुनिया का बाजार है। देश की हिंदी भाषा को सरकार के द्वारा कोई सहयोग सम्मान न देने पर भी वह दुनिया की सबसे बड़ी भाषा बन चुकी है और कंप्यूटर टेक्नोलॉजी के लिए सबसे उपयुक्त भाषा है खनिज पदार्थों और अन्न उत्पादन में भारत दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 3 देशों में शामिल हो चुका है जल थल नभ यातायात निरंतर बढ़ रहा है।

वाहनों की संख्या मोबाइल और कंप्यूटर की संख्या में भारत जल्दी सारी दुनिया में सबसे आगे निकल जाएगा। शिक्षा कला कौशल ज्ञान विज्ञान और खेल में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है हमारे अंतरिक्ष विज्ञान द्वारा भारत को विश्व के सर्वश्रेष्ठ देशों की अगली कतार में खड़ा कर दिया गया है और चन्द्रयान-3 के सफलतापूर्वक चंद्रमा पर उतरते ही भारत दुनिया की सबसे बड़ा अंतरिक्ष शक्ति बन जाएगा। आज हम अस्त्र-शस्त्र और सुरक्षा करने में दुनिया में सबसे बड़े देशों में शामिल हो गए हैं और बड़े पैमाने पर हथियारों का निर्यात कर रहे हैं। भारत के पास इतना अन्न हो चुका है कि वह 1 साल तक पूरी दुनिया का पेट भर सकता है। इस तरह विस्मयजनक और चमत्कारी रूप से भारत ने हर क्षेत्र में विशेष रुप से 10 वर्षों में प्रगति किया है और अगर ऐसे ही चलता रहा तो 2030 तक भारत दुनिया का सर्वश्रेष्ठ देश बन जाएगा सांस थमती गई नब्ज जमती गई, फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया कट गए सर हमारे तो कुछ गम नहीं, कर हिमालय का फिर भी न झुकने दिया।

इस महान प्रगति के साथ-साथ कुछ ऐसे भी बिंदु हैं जिन पर भारत को गहराई से विचार करना है। देश महंगाई बेरोजगारी भ्रष्टाचार लालफीताशाही और संवेदनहीन ता के भयंकर दलदल में फंस गया है जो देश के लिए भयंकर बाधा है देश में 5 करोड़ से भी अधिक मुकदमे लंबित हैं जो एक बहुत ही खतरनाक स्थिति है। आज भी न्याय के समानांतर गुंडा माफिया अराजक तत्वों का राज चल रहा है और देश आतंकवाद, नक्सलवाद तथा विदेशी षड्यंत्र और देश में अराजक स्थितियों से जूझ रहा है। कश्मीर मणिपुर बंगाल जैसी स्थितियां देश के लिए भयानक हैं लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार अपने कार्य को ठीक ढंग से इन सब कारणों से सही ढंग से नहीं कर पा रही है देश में बहुत बड़ी संख्या में बेरोजगार हैं।

पढ़ाई का स्तर विश्व स्तर से बहुत नीचे है और खोज आविष्कार और शोध करने में भारत देश बहुत अधिक पीछे है। सरकारी विभागों और संस्थानों में सुधार की अत्यधिक आवश्यकता है। देश में बहुत तेजी से हरियाली वृक्षारोपण और पेड़ पौधों की संख्या घट रही है जबकि सीमेंट कंक्रीट और प्लास्टिक के जंगल बढ़ते चले जा रहे हैं और देश में प्रदूषण की पर्यावरण की वायु गुणवत्ता की स्थिति बहुत चिंताजनक होकर फैल गई है। देश का केवल 10% वर्ग ही सही ढंग से शिक्षित और देश के विकास के कार्य में लगा है। इन सभी पर सुधार किए जाने की बहुत आवश्यकता है। आज भी लोग भूख से मर रहे हैं। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। पुलिस प्रशासन में सुधार की बहुत आवश्यकता है। मीडिया को डराने धमकाने और उनसे स्वतंत्रता छीनने की प्रवृत्ति भी बहुत घातक है। तुम आज समय के सैलाबों को मत रोको खुशहाल हवाओं मे न खिड़कियां बंद करो। यदि तूने ऐसा किया कभी तो ज्ञात रहे इतिहास ने तुमको माफ करेगा। याद रहे पीढ़ियां तुम्हारी करनी पर पछताएंगी पूरब की लाली में कालिख पुत जाएगी।

संपूर्ण देश में एक भाषा एक विधान एक संविधान एक परिधान होना चाहिए जो देश की एकता अखंडता के लिए बहुत आवश्यक है। पुराने कानून में परिवर्तन आवश्यक है जो देश की सरकार कर रही है। देशवासियों में एकता अखंडता और अपने देश के प्रति प्रेम तथा जागरूकता बढ़ रही है देशवासियों में गौरव तथा आत्मबोध की भावना बढ़ रही है। आज भारत के पास अग्नि त्रिशूल ब्रह्मोस शौर्य पिनाक जैसे महान प्रक्षेपास्त्र टैंक बड़े-बड़े युद्धपोत और युद्धक विमान है जो पूरी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देश से टक्कर लेने में समर्थ हैं। आज विदेशी शत्रु हमको आंखें नहीं दिखा सकते हम उनसे आंखों में आंखें डालकर उनसे बराबरी के स्तर पर बात करते हैं। पहले यह स्थिति नहीं थी भारत दुनिया का पिछड़ा हुआ और कमजोर देश माना जाता था आज पूरी दुनिया भारत के साथ आने और भारत के साथ सहयोग करने को आतुर है। नाथूला जोजिला और बलवान घाटी में हमारे परम वीर सैनिकों ने शौर्य की अद्भुत मिसाल कायम करते हुए शत्रु को खदेड़ दिया है और भारत की वीरता का डंका पूरे देश में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में फैला दिया है पूरे देश में जनसंख्या नियंत्रण और एक समान नागरिक संहिता देश की प्रगति और उन्नति शील भारत के लिए आवश्यक है जिसका प्रयास वर्तमान सरकार द्वारा किया जा रहा है। शत्रु देश और विदेशी शक्तियां भारत को तोड़ने में लगातार लगी हुई है लेकिन भारत अपने प्रगति पथ पर आगे बढ़ता हुआ निरंतर विश्व गुरु बनाने की ओर अग्रसर है। हमें आशा और विश्वास है कि आने वाले समय में हमारा देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों की अग्रिम पंक्ति में खड़ा होगा और हम शान से कह सकेंगे जहां डाल—डाल पर सोने की चिड़िया करती है। बसेरा वह भारत देश है मेरा।

देश को विश्व शक्ति बनाने और विकास के रास्ते पर बढ़ने के लिए सबसे आवश्यक बात यह है कि सरकारी तंत्र और संस्थानों को राजनेताओं को और संविधान तथा सत्य निष्ठा की संबद्ध सौगंध खाने वाले राजनेताओं, अधिकारियों, सांसदों, विधायकों, मंत्रियों को अपने कार्यों के लिए पूरी तरह से उत्तरदाई बनाया जाय। किसी के पास भी आवश्यकता से अधिक धन संपत्ति ना हो। आज देश में 5% लोग देश के 95% धन भवन महल कार बंगले और संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं जबकि 95% देशवासी 5% संसाधनों पर गुजारा कर रहे हैं। यही देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य है और जिस तरह से निजी क्षेत्र और निजी संस्थान त्वरित गति से आगे बढ़ रहे हैं। उसी तरह से सरकारी संस्थान और विभाग आगे क्यों नहीं बढ़ रहे हैं यह बात स्वयं बताती है कि सरकारी क्षेत्रों का उपयोग केवल निजी धन-संपत्ति बढ़ाने और अपनी आगामी पीढियां सुधारने के लिए हो रहा है। इस पर तत्काल रोक लगनी चाहिए। इसके लिए हम को यह सोचना है मैं तो देखा करता हूं भविष्य में ऐसा सपना जिसमें सबको सुख होगा तो मेरे जैसा दुख होगा तो मेरे जैसा।

इन सभी बिंदुओं के अलावा एक और महत्वपूर्ण बिंदु है कि जो भी शासन, प्रशासन, विभाग या तंत्र अपनी उपलब्धियां का डंका पिता है और उसका श्रेय लेता है। इस विभाग और सरकार तथा शासन प्रशासन पुलिस को उन सभी उत्तरदायित्व का वहन करना चाहिए जो ऋण आत्मक बिंदु है उदाहरण के लिए अगर न्याय पालिका ने 1 वर्ष में 50 लाख विवादों का निस्तारण किया और एक करोड़ विवाद बढ़ गए तो उसकी जिम्मेदारी न्यायपालिका पर होनी चाहिए और इसके लिए उन पर कुछ ना कुछ दंड मिलना चाहिए। इसी प्रकार हर विभागों के लिए मानक तय होने चाहिए। साथ ही देश में ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जिससे कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार संवेदनशील देश और जनता के हित में काम करने वाली पीढ़ियां तैयार हो जो आज बिल्कुल नहीं है और आज अपना कार्य निष्ठा ईमानदारी से देश हित और जनता एक में करने वाला कर्मचारी अधिकारी नेता अभिनेता बुद्धिजीवी सभी भयंकर खतरे में है।

यह देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है। ऐसे भी तंत्र का विकास करना चाहिए। इसमें त्वरित न्याय के लिए नक्सली आतंकी देशद्रोही तत्वों को संक्षिप्त परीक्षण करके उन्हें तत्काल गोली मार देना चाहिए या फांसी पर लटका देना चाहिए या इसी तरह कोई कठोर दंड का उपबंध करना चाहिए। किसी भी क्षेत्र में कोई भी अप्रिय विधि विरुद्ध घटना महिलाओं के साथ या किसी भी पीड़ित प्रताड़ित के साथ घटित हो तो वहां के जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और न्याय पालिका के जज के साथ सभी जिम्मेदार लोगों को तत्काल ही संकेत रूप में दंडित करना चाहिए और उनका वेतन काटने जैसी तमाम चीज़ अपनी जा सकती हैं तब अपने आपमें बहुत तेजी से अत्याचार अन्य अपराध का ग्राफ नीचे गिरता चला जाएगा तभी तो हमारे अमर बलिदानी संतुष्ट होंगे। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशा होगा। पूरे देश में एक नागरिकता एक राष्ट्रभाषा एक वेशभूषा एक ही ध्वज एक ही राष्ट्रगान एक ही परिधान होना अनिवार्य है।

देश में भ्रष्टाचार, भाई—भतीजावाद, सोर्स सिफारिश और अन्याय इस तरह से प्रभावी हो चुका है कि आज अधिकांश छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा पद प्रतिभा और ईमानदारी से नहीं बल्कि सोर्स सिफारिश और पैसों के बल पर हो रहा है। अनुपयुक्त लोगों को उपयुक्त जगह पर बैठा कर देश की प्रगति को अवरुद्ध किया जा रहा है। इसका एक प्रमाण यह है कि भारी भारी वेतन भत्ते लेने वाले प्राइमरी से डिग्री और विश्वविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में नहीं पढ़ा रहे हैं जो स्पष्ट करता है कि उन्हें अपनी योग्यता पर जरा भी विश्वास नहीं है। यही हाल सभी वर्ग के सरकारी विभागों संस्थानों का है। आपातकाल में लोग सरकारी अस्पतालों को छोड़कर प्राइवेट स्थानों में भागते हैं। खुद अस्पताल के डॉक्टर नर्स चिकित्सक भी बड़े-बड़े प्राइवेट अस्पतालों में भागते हैं जो दिखाता है कि देश में भ्रष्टाचार और बेईमानी किस कदर हावी हो चुका है। ऐसे तंत्र विकसित होने पर देश का विकास नहीं विनाश होगा और अन्न हीन पेटो में दाने वस्त्र हीन देहु पर धागे यदि हमने यह नहीं जुटाए तो हम राजे निपट अभागे का वाक्य कैसे साकार होगा। कैसे सत्यम, शिवम, सुंदरम का उद्घोष सफल होगा? सबका साथ सबका—विकास सबका, विश्वास कैसे पूरा होगा। केंद्र और राज्य के शासन—प्रशासन में एक ऐसा तंत्र स्थापित करना चाहिए जो देश में छिपे हुए सत्य निश्चित कर्तव्य लिस्ट ईमानदार देश के प्रति समर्पित और सादा जीवन उच्च विचार वाले स्त्री पुरुषों को खोज कर निकले और उनको हर जगह पर स्थापित करें तो अपने आप अन्य अत्याचार महंगाई भ्रष्टाचार लाल फीता शाही संवेदनहीनता समाप्त हो जाएगी।

देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि स्वतंत्रता के बाद देश में ऐसा तंत्र विकसित हो गया है कि लोग चाहकर भी सत्यनिष्ठ कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार नहीं हो सकते। उनके लिए हर कदम पर परेशानी अपयश अपमान जान का खतरा और बदनाम होने का डर है, इसलिए प्रारंभ में देश के 99% ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ नौकरी पाने के कुछ ही समय बाद पूरी तरह इस भ्रष्ट और माफिया तंत्र का शिकार हो जाते हैं जिसमें उनकी रक्षा करने वाला कोई नहीं है। लाल बहादुर शास्त्री, शैलेंद्र सिंह, भूरेलाल, श्रीनाथ सिंह, जगमोहन सिन्हा, अशोक खेमका जैसे अनगिनत कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी—कर्मचारी इस भ्रष्ट और माफिया तंत्र की बलिवेदी पर चढ़ चुके हैं और यह कहीं से नहीं सिद्ध करता है कि देश में लोकतंत्र एवं न्याय और संविधान का राज है 50 साल से अधिक मुकदमे चल रहे हैं। मुकदमे बढ़ते चले जा रहे हैं। एक कमजोर ईमानदार व्यक्ति धनहीन व्यक्ति का मुकदमा लड़ पाना असंभव हो गया है। चाहे—अनचाहे न्यायपालिका कार्यपालिका विधायिका सभी भ्रष्टाचार की बलिवेदी पर चढ़ गई है बहाने अनगिनत है। कार्य कोई करना नहीं चाहता है।

हर जगह हड़ताल प्रदर्शन आंदोलन है। कहीं पर सातवां वेतन आयोग लागू है तो अधिकांश स्थानों पर पहले वेतन आयोग के समान भी प्राइवेट संस्थानों में पैसे नहीं मिल रहे हैं। डिग्री कॉलेज में विभिन्न जगह पर 5 से 10000 पर प्राध्यापक लोग पढ़ा रहे हैं जबकि वही मान्यता प्राप्त कालेजों में 200000 से 500000 वेतन पा रहे हैं। ऐसे में देश में एकता और अखंडता कहां से आ सकती है। बहुत कुछ करना बाकी है इस देश में नहीं तो एक कहावत है भारत में यदि रहना है। चींटी हाथी उठाकर ले गई तब भी हां हां कहना है। यहां पर लाल बहादुर शास्त्री, कल्याण सिंह, हेमंत विश्व शर्मा, योगी आदित्यनाथ जैसा व्यक्ति बनकर ही आजम खान, मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी, विकास दुबे, अतीक अहमद जैसे लोगों पर काबू पाया जा सकता है। यह लोग संविधान और कानून की भाषा नहीं समझ सकते पूरे देश में इनका तंत्र विकसित है और सबसे दुखद तथ्य है कि राजनीति में 70 से 90% अपराधी और माफिया वाले तत्व सांसद विधायक बन रहे हैं। अन्याय जिधर है, उधर शक्ति लख चिंता कुल हो गये। अतुल बल शेष शयन भावित नयनों से गिरे सजल दो मुक्ता दल।

अगर हमारे राजनेता गण सुधरकर ईमानदार हो जाए और वह भ्रष्टाचार अन्याय अत्याचार रोकने का प्रण कर ले तो कोई कारण नहीं कि देश सोने की चिड़िया बन जाए। इसके लिए उन्हें सबसे पहले त्याग बलिदान करना होगा केवल भाषण में नहीं अपने जीवन में भी सादा जीवन उच्च विचार अपनाना होगा और कुछ सांसद, विधायक, मंत्री, अधिकारी ऐसा कर चुके हैं। हमेशा संसद और विधानसभाओं में अपने सुविधाएं वेतन भत्ते बढ़ाने के लिए और शोर-शराबा करने की जगह जनहित के कार्यों को करना होगा लगातार 5 वर्ष तक गली मोहल्ले गांव में दौड़ना होगा। इतिहास में अपना नाम अमर करना है तो अपार धन-संपत्ति के संचय की प्रवृत्ति को छोड़ना होगा अगर विधानसभा और संसद सुधर जाएगी तो न्यायपालिका कार्यपालिका विधायिका अपने आप सुधर जाएगी और तब बड़े अधिकारी भी विवश होकर सुधर जाएंगे फिर कर्मचारी लोगों की कहां औकात है कि वह अन्याय अत्याचार और भ्रष्टाचार कर सकें देश तरक्की के शिखर पर चढ़ता चला जाएगा वैसे भी मरने के बाद राजनेता अधिकारी माफिया धनकुबेर सबका गाड़ी बंगला मकान पैसा सुख सुविधाएं ही रह जाती हैं, इसलिए अपने लिए नहीं, बल्कि देश के लिए मरो देश के लिए जियो।

सुभाष चंद्र बोस, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, की चर्चा मत करो, बल्कि खुद सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद जैसी संतान पैदा करो और भगवान श्रीराम के जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी वाले वाक्य को याद करो और उन्होंने स्वयं कहा कि जन्म भूमि परम सुहावन उत्तर देसी वह पावन यद्यपि सब बैकुंठ बखाना वेद पुराण। विदित जग जाना अवधपुरी सम प्रिय नहीं सोऊ यह प्रसंग जानत कोउ कोऊ अंत में इतना ही कहना चाहेंगे कि जिस तरह मिटती हुई यहूदी जाति ने शक्तिशाली इजराइल बनाया जिस तरह उत्तर दक्षिण कोरिया पूर्व पश्चिम जर्मनी उत्तर दक्षिण वियतनाम फिर से एक हो गए उसी तरह हम आप सब भारतवासी एक हो।

अपने घर के अंदर कोई भी धर्म नियम का पालन करें लेकिन घर से बाहर निकलते ही सब लोग केवल और केवल भारतवासी बने इस भारत का निर्माण फिर से करें जो अरब प्रायद्वीप ईरान, कजाकिस्तान, तुर्किस्तान, तिब्बत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, मालदीप, श्रीलंका से लेकर बर्मा, थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया, तिमूर, सिंगापुर, हिंद, चीन, श्याम, कंबोडिया, वियतनाम तक फैल हो और यह देश अपने आप भारत की शरण में आ जाएंगे। बशर्तें एक शक्तिशाली स्वदेशी राजनेता या राजा पैदा हो जाए अंग्रेजी और विदेशी मोह छोड़कर अपनी भाषा संस्कृति सभ्यता पर अभिमान करना सीखें और उसी में सारा कामकाज करें स्वार्थी तत्वों द्वारा विदेशी श्रेष्ठता के जाल में न फंसे और सबके जुबान पर एक ही वाक्य हो इच्छा है। इस जन्मभूमि पर सौ—सौ बार जन्म ले हम सौ—सौ बार इसी की सेवा में अपना जीवन दे।

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