Monday, April 29, 2024
No menu items!

क्या सचमुच 25 दिसम्बर को बड़ा दिन होता है?

हमें यही बताया और पढ़ाया जाता है कि 25 दिसंबर को बड़ा दिन होता है और इसी दिन ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस का त्यौहार मनाते हैं लेकिन क्या सचमुच 25 दिसंबर को बड़ा दिन शुरू हो जाता है या इसके पीछे वास्तविकता कुछ और है। यह एक वैज्ञानिक सच है कि 22 दिसंबर के दिन उत्तरी गोलार्ध में यूरोप एशिया और उत्तरी अफ्रीका में सबसे बड़ी रात और सबसे छोटा दिन होता है जबकि किसी डिनर दिसंबर को ही दक्षिणी अफ्रीका महाद्वीप, दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है। इसके विपरीत 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में अर्थात उत्तरी अमेरिका यूरोप एशिया और उत्तरी अफ्रीका में सबसे बड़ा दिन और सबसे छोटी रात होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका में इसका ठीक उल्टा होता है। अर्थात वहां ठंड का समय और सबसे बड़ी रात होती है। इस तरह से 22 दिसंबर के 3 दिन बाद 25 दिसंबर अर्थात क्रिसमस का पाव आता है जिसको बड़ा दिन भी कहा जाता है।
अगर वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो 22 दिसंबर से लेकर 31 दिसंबर तक दिन और रात का समय स्थिर रहता है। अर्थात सूर्योदय और सूर्यास्त में कोई परिवर्तन नहीं होता है, इसलिए वैज्ञानिक दृष्टि से 25 दिसंबर को बड़ा दिन कहा जाना पूरी तरह से वैज्ञानिक और गलत है। इसके विपरीत हमारा सनातन धर्म सारी दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है और विज्ञान में भी सर्वश्रेष्ठ है। हमारे यहां हजारों वर्षों से कहावत है— रोट से दिन छोट, खिचड़ी से दिन बडा, माघ तिलै तिल, वाढै है फागुन, गोड़ा काढै खिचड़ी अर्थात मकर संक्रांति तक दिन का मान 15 से लेकर 20 मिनट तक बढ़ जाता है जो पूरी तरह से बड़ा दिन के रूप में सही है। इसी तरह सावन महीने में रोट से दिन से दिन छोटा होने लगता है।
कहने का अर्थ है कि 25 दिसंबर को बड़ा दिन पूरी तरह गलत है विज्ञान विरुद्ध है और केवल क्रिसमस के कारण रखा गया है जबकि बड़ा दिन मकर संक्रांति अर्थात खिचड़ी के दिन से ही सही सिद्ध होता है।
डा. दिलीप सिंह एडवोकेट
ज्योतिष शिरोमणि/मौसम विज्ञानी

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular