Monday, April 29, 2024
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चलो अयोध्या नगरिया

 

होली खेलें रघुबीर,
चलो अयोध्या नगरिया। (4)

हँसी-ठिठोली संग खेलेंगे होली,
सजी अयोध्या जैसे दुल्हन-नबेली।
वहाँ तारेंगे अधम शरीर,
चलो अयोध्या नगरिया,
होली खेलें रघुबीर। (2)

गमक रहा बागों में बसंती महीना,
बन गया राममंदिर चौड़ा है सीना।
बदल गई ऊ पुरानी तस्वीर,
चलो अयोध्या नगरिया,
होली खेलें रघुबीर। (2)

चमक रही देखो फागुन की अंजोरिया,
कुहू-कुहू बोल रही डाल पे कोयलिया।
उड़ रही नभ से अबीर,
चलो अयोध्या नगरिया,
होली खेलें रघुबीर।(2)

पंख लगाके मन कहता उड़ि जाऊँ,
राम के चरनियाँ में मथवा टेकाऊँ।
संवर जाती सबकी तकदीर,
चलो अयोध्या नगरिया,
होली खेलें रघुबीर। (2)

रामकेश एम. यादव मुम्बई
(कवि व लेखक)

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