मॉलिक्युलर मॉडलिंग जैविक क्रियाओं को समझने में मददगार
अजय विश्वकर्मा
सिद्दीकपुर, जौनपुर। वीर बहादुर वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर स्थित प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भैया) भौतिकीय विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान के रसायन विज्ञान विभाग द्वारा मॉलिक्यूलर मॉडलिंग एवं कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री के विभिन्न आयामों व अनुप्रयोगों पर चर्चा हुईं।
तकनीकी सत्र को संबोधित करते हुए इंस्टीट्यूट ऑफ थ्योरिटिकल केमिस्ट्री, स्टटगार्ट यूनिवर्सिटी, जर्मनी के डॉ मनोज केसरवानी ने कंप्यूटेशनल केमिस्ट्री में प्रयोग होने वाले विभिन्न सॉफ्टवेयर और प्रोग्राम के बारे में बताया तथा विद्यार्थियों को उसका प्रशिक्षण भी दिया।
दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए मेहरावां पीजी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आशुतोष गुप्ता 20वीं और 21वीं सदी में हुई रसायन विज्ञान की विभिन्न घटनाओं के जिक्र करते हुये कंप्यूटेशनल केमेस्ट्री की उत्पति और वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के डॉ विवेक यादव ने कहा कि इस की तरह की कार्यशाला से विद्यार्थी को रसायन विज्ञान के क्षेत्र में हो रही शोध का पता चलता है जिससे उन्हें अपने अध्ययन और शोध में मदद मिलती है। डॉ विवेक ने मॉलिक्युलर डायनामिक्स और उससे जुड़े विभिन्न आयामों के बारे में विस्तार से उदाहरण के साथ चर्चा की।
समापन सत्र की अध्यक्षता कर रहे रज्जू भैया संस्थान के निदेशक प्रो देवराज सिंह ने कहा कि कंप्यूटर आज के समय में शोध के आवश्यक हिस्सा है। बिना कंप्यूटर के शोध की कल्पना नहीं को जा सकती है। प्रो सिंह ने विद्यार्थियों को मेहनत के साथ अध्ययन और शोध करने के लिए प्रेरित किया।
दो दिवसीय कार्यशाला का वृत्त डॉ अजीत सिंह ने प्रस्तुत किया। कार्यशाला का संचालन, डॉ मिथिलेश यादव व डॉ. दिनेश वर्मा किया। धन्यवाद ज्ञापन स्वागत रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रमोद कुमार ने किया। इस अवसर पर डॉ नितेश जायसवाल, डॉ प्रमोद यादव, डॉ. गिरिधर मिश्र, डॉ आशीष वर्मा, डॉ. श्रवण कुमार, डॉ. दीपक मौर्य, डॉ. सौरभ सिंह, डॉ सुजीत, डॉ काजल डे, पीएचडी शोधार्थी सहित तमाम छात्र—छात्राओं की उपस्थिति रही।
कम्प्यूटेशनल केमिस्ट्री में शोध की असीम सम्भावनाएं: डा. मनोज केसरवानी
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