Monday, April 29, 2024
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हरियाली तीज सीज़न—5 के आयोजन में विभिन्न संस्थाओं की पदाधिकारियों ने दिखायी सहभागिता

  • मां सिद्धिदात्री सेवा समिति परिवार के विचार—विमर्श के पश्चात डा. रंजिता बनायी गयीं प्रदेश अध्यक्ष

मनीष श्रीवास्तव
जौनपुर। लखनऊ के एक होटल में हेमा खत्री द्वारा संचालित प्रोग्राम हरियाली तीज सीज़न 5 का आयोजन हुआ जिसमें विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया। बताते चलें कि कार्यक्रम में मां सिद्धिदात्री सेवा समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रीती सिंह, उषा गोस्वामी, प्रीती वाष्णेय एवं लखनऊ जिलाध्यक्ष अर्चना वर्मा, जिला महामंत्री निर्मला सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष पूनम तिवारी, रेखा सिंह सहित संस्था की अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम में मां सिद्धिदात्री सेवा समिति परिवार के आपसी विचार—विमर्श के पश्चात जौनपुर की मूल निवासिनी डॉ रंजिता सिंह को प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया गया जिसके बाद उपस्थित लोगों ने बधाई देते हुए संस्था की सभी बहनों ने यह पदभार सौंपा।
डॉ सिंह ने कहा कि सावन का पर्व हम सभी सनातनी कितने धूमधाम से मनाते हैं। इस पावन माह में महिलाएं विशेष रूप से श्रंगार आदि करती, सावन की जैसे ही हम चर्चा करते हैं तुरंत हमारी आंखों के सामने हरियाली ही नजर आती है। उन्होंने हरियाली तीज को लेकर बताया कि हम सभी हरियाली तीज क्यों मनाते हैं? क्यों इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं? और भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। वहीं कुछ स्‍थानों पर कुंवारी कन्‍याएं भी सुयोग्‍य वर पाने के लिए भी तीज का व्रत करती हैं। हरियाली तीज पर महिलाएं अपनी सखियों के साथ मिलकर पेड़ पर झूला डालती है और सावन के लोक गीत गाकर इस त्‍योहार की खुशियां मनाती।
मां सिद्धिदात्री सेवा समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रीती सिंह ने बताया कि पौराणिक मान्यता है कि सबसे पहली बार हरियाली तीज का व्रत राजा हिमालय की पुत्री पार्वती ने रखा था। इस व्रत के प्रभाव से ही उन्हें शिवजी पति के रूप में मिले थे, इसलिए हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के साथ ही कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं। निर्जला व्रत और भगवान शिव और माता पार्वती की विधि पूर्वक पूजा करने का विधान है। इस दिन व्रत के साथ शाम को व्रत की कथा सुनी जाती है। माता पार्वती जी का व्रत पूजन करने से धन, विवाह संतानादि भौतिक सुखों में वृद्धि होती है।
बताया यह भी जाता है कि सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महिलाएं शिव-पार्वती का विशेष पूजन करती हैं जिसे हरियाली तीज कहा जाता है। देश के बड़े भाग में यही पूजन आषाढ़ तृतीया को मनाया जाता है, उसे हरितालिका तीज कहते हैं। दोनों में पूजन एक जैसा होता है अत: कथा भी एक जैसी होती है।

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