Monday, April 29, 2024
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एक नेशन—एक एजुकेशन से बनेगा श्रेष्ठ भारतः अश्वनी उपाध्याय

शिक्षा के साथ परम्परा व संस्कारों को भी सीखें विद्यार्थीः कुलपति
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के आर्यभट्ट सभागार में बुधवार को दीक्षांत व्याख्यानमाला के क्रम में दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ के तत्वावधान में दीनदयाल उपाध्याय के सपनों का भारत विषय पर संगोष्ठी हुई। इस मौके पर कानून व्वयस्था में सुधार के लिए जनहित याचिका दाखिल कर चर्चा में आने वाले सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि दीन दयाल जी एक भारत-श्रेष्ठ भारत चाहते थे। संविधान की प्रस्तावना का भी यही उद्देश्य था। पूविवि की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि विश्वविद्यालय में विद्यार्थी शिक्षा के साथ परंपरा और संस्कारों में भी जीना सीखते हैं। विद्यार्थियों को जीवन में सकारात्मक सोच रखना चाहिए। वर्तमान के धरातल पर अतीत के सहारे भविष्य की जो सोच रखता है, वही जननायक होता है। पंडित जी का दर्शन एकात्म मानववाद का था। कुलपति का मानना है कि भाषाएं अलग हो सकती हैं किंतु व्यक्ति और दिल अलग नहीं हो सकते। कार्यक्रम का संचालन डॉ अनुराग मिश्र और विषय प्रवर्तन डॉ राहुल राय ने किया। इसके पहले कुलपति प्रो. मौर्य एवं मनोज मिश्र द्वारा संपादित पुस्तक मुख्य अतिथि को भेंट की गई। मुख्य वक्ता का परिचय डा. अंकित कुमार ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन जनसंचार विभागाध्य्क्ष डा. मनोज मिश्र ने किया। इस अवसर पर प्रो. अजय द्विवेदी, डॉ अविनाश पाथर्डीकर, प्रो. बीडी शर्मा, प्रो. मिथिलेश सिंह, डॉ. मंगला यादव, डॉ अंकित सिंह, डॉ रामजीत सोनकर, डॉ. वनिता सिंह, डॉ. प्रियंका कुमारी, डॉ. सुनील कुमार, डॉ प्रमोद यादवा, डॉ मनोज, डॉ रसिकेश, डॉ इन्द्रेश कुमार सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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