Monday, April 29, 2024
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राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कविता संग्रह व दोहा पथिक का हुआ विमोचन

जौनपुर। साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्था कोशिश के वार्षिक समारोह में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में कविता संग्रह/उल्लास का लोकार्पण और जनार्दन अष्ठाना के दोहा पथिक का विमोचन किया गया। मां वीणापाणी की वंदना के पश्चात मुंबई से पधारे कवि रासविहारी पांडेय का मुक्तक/प्यास को दे तृप्ति का नाम वही कविता है। कविता को परिभाषित कर गया। गिरीश जी का गीत कहीं कवने सनेहियां क पीर हिरना/लोक मन को छू गया। बरेली से पधारे डा. राहुल अवस्थी की कविता जीवन हर गम से रीता हो जायेगा, हारा होगा तो जीता हो जायेगा, खूब पसंद किया गया।
प्रो. वशिष्ठ का शेर सबकी नजरों में खास लगते हो, फिर भी कुछ कुछ उदास लगते हो, आधुनिक देवदास का चित्र खींच गया। राजेंद्र तिवारी लल्लू की पंक्ति प्यार कच्चा घडा नहीं होता, प्रेम को रुपायित कर गया। मैकस आजमी का शेर रात में फोन मैं नहीं करता, वों कोई ख्वाब देखता होगा, सभी को संवेदित कर गया। पथिक का छंद पाती तेरी मिल पाती नहीं, कलपाती रही, कलपाती नहीं हूं/अवधी की छटा विखेर गया। अशोक मिश्र की पंक्ति मेरे मनुहार का हर अतिक्रमण, बुलडोजर होता है, श्रोताओं को गुदगुदा गई। निसार अहमद का शेर चिता की आग से रोटी बनाते मैने देखा है, गरीबी का दयनीय चित्र खींच गया। लोकभाषा के अद्भुत कवि जगदीश पंथी का गीत सोनवा के बलिया लटकय सिवनवां में, देखि के चंदनिया सिहाय, धरती की सुंदरता का अनुपम बयां कर गया। प्रखर जी का व्यंग्य और डा. पीसी विश्वकर्मा का शेर भी खूब पसंद किया गया।
सम्मेलन में रामजीत मिश्र, सुशील दुबे, राजेश पांडेय, दमयंती सिंह, आसिफ जौनपुरी, आशिक जौनपुरी, अमृत प्रकाश, नंद लाल समीर, सुमति जी, डा. विमला सिंह, फूलचंद भारती, अनिल उपाध्याय, अंसार जौनपुर, नेहा सिंह, संजय सागर, शशांक मिश्र, डा. अजय विक्रम सिंह आदि ने काव्य पाठ किया। सम्मेलन में दिनेश टंडन, प्रो. आरएन ओझा, अमित अग्रहरी, डा. शुभ्रा सिंह, प्रो. विनय सिंह, डा. सुभाष सिंह, डा. राकेश दुबे की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। सुरेन्द्र यादव की भूमिका सराहनीय रही। संचालन डा. राहुल अवस्थी ने किया। अन्त में आभार प्रो. आरएन सिंह ने किया।

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