Sunday, April 28, 2024
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ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण हम सभी का नैतिक कर्तव्य: डा. कायनात

  • प्रतिभागियों ने ऐतिहासिक स्थलों की फोटोग्राफी सीखी
  • 5 दिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन

विरेन्द्र यादव
सरायख्वाजा, जौनपुर। पूर्वांचल विश्वविद्यालय एवं कल्चरल क्लब के जनसंचार विभाग की ओर से 5 दिवसीय कार्यशाला का शुक्रवार को समापन हुआ। शाही किला में ऐतिहासिक स्थलों की फोटोग्राफी विषय पर प्रशिक्षण सत्र का आयोजन हुआ। इस मौके पर प्रख्यात यात्रा लेखिका एवं फोटोग्राफर डॉ. कायनात काजी ने कहा कि ऐतिहासिक स्थलों के चित्र सभी को आकर्षित करते हैं, इसलिए ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए जहां से सबसे सुंदर दिखाई देता हो। कि ऐतिहासिक स्थलों की रक्षा करना समाज के हर व्यक्ति का नैतिक कर्तव्य है। उस स्थान को गंदा कर हम अपनी विरासत को क्षतिग्रस्त और धूमिल करते हैं जिससे आने वाली पीढ़ी उसको उस रूप में नहीं देख पाएगी जिसे हमारे पूर्वजों ने दिया है।
वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार एवं फोटोग्राफर अनिरूद्ध पांडेय ने उत्तर प्रदेश की लोक संस्कृति पर विस्तार से अपनी बात रखते हुये उन्होंने वीडियो और फोटो के माध्यम से लोक कलाओं के संरक्षण एवं दस्तावेजीकरण को विस्तार से बताया। उन्होंने चुनार, गोरखपुर एवं आजमगढ़ की लोक कलाओं पर कहा कि वह कला जीवित रहती है जिसका जुड़ाव आमजन से होता है। उन्होंने बांसुरी पर बनाई गयी वृत्तचित्र नरकट की रानी को दिखाया।
प्रतिभागियों को 3 समूहों में बांटकर प्रख्यात फोटोग्राफर डॉ. कायनात काजी, प्रेस फोटोग्राफर आशीष श्रीवास्तव एवं हसन आरिफ जाफरी ने फोटोग्राफी की तकनीक बताई। प्रतिभागियों ने शाही किले की शानदार फोटो अपने मोबाइल और कैमरा में कैद की। विशेषज्ञों को कार्यक्रम समन्वयक प्रो. मनोज मिश्र द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया। समापन सत्र संकाय भवन के कांफ्रेंस हाल में आयोजित हुआ। अतिथियों ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया। कार्यक्रम संयोजक डॉ. दिग्विजय सिंह राठौर ने कार्यशाला की रिपोर्ट प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सुनील कुमार ने किया। इस अवसर पर डॉ. अवध बिहारी सिंह, डॉ. जाह्नवी श्रीवास्तव, डॉ. चंदन सिंह, डॉ. अनु त्यागी, सुधाकर शुक्ल, सोनम विश्वकर्मा समेत तमाम लोग उपस्थित रहे।

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