ज़िन्दगी का तराना कभी भी
अपना स्वरूप बदल देता है,
इसलिए हमें किसी तरह का
अभिमान शोभा नहीं देता है।
जब सफलता बुलंदियों पर
पहुँचा देती है, अच्छी बात है,
उसके बाद गुनाह करना तो,
इंसान का बहुत बड़ा पाप है।
सारे विवाद खत्म करने के लिये
आसान प्रक्रिया अपनानी चाहिए,
हमारी गलती नही भी हो तो भी,
हाथ जोड़ माफ़ी माँगनी चाहिये।
कविता या लेख जो उपज है,
उस राजनीतिक विवाद की,
मुझे ऐसी रचना में रुचि नहीं है,
इंसान खिंचाई करे इंसान की।
अच्छा काम सबको दिखता है,
आदित्य ये स्वीकारना अच्छा है,
धर्म पर राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता
से दूर रहना हमारे लिये अच्छा है।
कर्नल आदिशंकर मिश्र ‘आदित्य’
जनपद—लखनऊ