Sunday, April 28, 2024
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रामलला

 

देता अवध घुमाय मोर सजनवाँ ना,
रामलला जी कै करित दर्शनवाँ ना।

चलत डहरिया पिराई नहीं गोड़वा,
छूट जाई एकदिन देखा हाथी-घोड़वा।
पूरा होई जाई अपनों सपनवाँ ना,
रामलला जी कै करित दर्शनवाँ ना।
देता अवध घुमाय मोर सजनवाँ ना,
रामलला जी कै करित दर्शनवाँ ना।

सरयू नहाई के चढ़ाईब माला-फुलवा,
माखन और मिश्री खियाईब पूड़ी-हलवा।
देवी-देवता आए प्रभु के भावनवाँ ना,
रामलला जी कै करित दर्शनवाँ ना।
देता अवध घुमाय मोर सजनवाँ ना,
रामलला जी कै करित दर्शनवाँ ना।

काशी -विश्वनाथ जी कै दर्शन हम कइली,
दूध, बेल-पात, अक्षत शिव पे चढ़उली।
उहाँ तृप्त होई अपनों नयनवाँ ना,
रामलला जी कै करित दर्शनवाँ ना।
देता अवध घुमाय मोर सजनवाँ ना,
रामलला जी कै करित दर्शनवाँ ना।

दुनिया कै दाता कइसे भइलन बिना घरवा,
बनी गयल राममंदिर देखा ऊ जिगरवा।
प्रभु के स्वागत में उमड़ल जहनवाँ ना,
रामलला जी कै करित दर्शनवाँ ना।
देता अवध घुमाय मोर सजनवाँ ना,
रामलला जी कै करित दर्शनवाँ ना।

रामकेश एम. यादव, मुम्बई
(कवि व लेखक)

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