Monday, April 29, 2024
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कमीशन पर कमीशन की मार से कराह रहे डोभी क्षेत्र के प्रधान

  • स्टीमेट व मेजरमेंट बुक बनाने वाले जेई को ही बना दिया सत्यापनकर्ता अधिकारी
  • बीडीओ के साथ ग्राम प्रधानों की पंचायत में भी नहीं बनी बात
  • मनरेगा के संविदा कार्मिक लेखा सहायक ने बीडीओ से अपने मनपसन्द अधिकारियों को दिलवाया यह जिम्मेदारी वाला
पद
अमित गुप्ता
डोभी, जौनपुर। कमीशन पर कमीशन की मार से कराह रहे हैं डोभी क्षेत्र के प्रधान। जी हां, समस्त ग्राम पंचायतों में हुये कार्य भुगतान के नाम पर 1 प्रतिशत मांगे जाने का मामला प्रकाश में आया है। ग्राम पंचायत प्रधानों से सत्यापन अधिकारी कार्य के सत्यापन व भुगतान के एवज में 1 प्रतिशत कमीशन वसूल रहे हैं। कुछ प्रधान भुगतान के बदले कमीशन न देने के खिलाफ हो गये हैं। वहीं सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि जो जेई कार्य का स्टीमेंट बना रहा है और मेजरमेंट बुक (एमबी) कर रहा है, उसी जेई से कार्य का सत्यापन कराया जा रहा है।
यह सत्यापन अधिकारी पूरे ब्लॉक क्षेत्र के 69 ग्राम पंचायतों में नरेगा के तहत 2023–24 और इसके पूर्व में महात्मा गांधी राष्ट्रीय गारंटी योजना के तहत जो कार्य हुआ है, उसके सत्यापन के लिए खंड विकास अधिकारी डोभी ने मनरेगा के संविदा कार्मिक लेखा सहायक के इशारे पर इसी 16 फरवरी को एडीओ आईएसबी धनंजय सिंह एवं दोबारा डोभी ब्लॉक में तैनात चर्चित अवर अभियंता (आरईडी) मिथिलेश कुमार को नामित किया है। यह लोग सत्यापन और भुगतान के नाम पर प्रधानों के ऊपर दबाव बनाकर 1 प्रतिशत कमीशन की मांग कर रहे हैं लेकिन प्रधानों ने सीधे-सीधे हाथ खड़ा कर दिया है कि न आप सत्यापन करिए और न ही हमको भुगतान चाहिए।
बीते 23 फरवरी को बीडीओ अस्मिता सेन के यहां प्रधानों की पंचायत हुई। पंचायत में सभी प्रधानों ने बीडीओ से कहा कि यह क्या तरीका है कि सत्यापनकर्ता अधिकारी सत्यापन के नाम पर हम लोगों से 1 प्रतिशत ले लेंगे। सभी प्रधानों ने एकजुटता का परिचय देते हुए कहा कि न हम लोग सत्यापन करवाएंगे और न ही 1 प्रतिशत देंगे। प्रधानों की नाराजगी को देखते हुए बीडीओ ने कहा कि ठीक है। 1 प्रतिशत आप लोगों को नहीं देना है। आप लोगों को पर फाइल केवल 500 रूपया देना है। इस पर भी प्रधानों में सहमति नहीं बनी और सभी प्रधान नाराज होकर वहां से चले गये।
यहां गौर करने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि जो जेई इस्टीमेट बनाया है और भुगतान किया है, वही जेई इसमें सत्यापनकर्ता अधिकारी है। ऐसे में सत्यापन कार्य में पारदर्शिता कहां रहेगी? फिलहाल सत्यापन और भुगतान का मामला प्रधानों के लिए सर दर्द बना हुआ है। वहीं प्रदेश की बाबाजी वाली सरकार भ्रष्टाचार को जड़ से उखाड़ने में लगी हुई है तो डोभी ब्लॉक के अधिकारी व कर्मचारी भ्रष्टाचार की जड़ को मजबूत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

 

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