Sunday, April 28, 2024
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राम वनगमन व केवट संवाद सुनकर भाव—विभोर हुये स्रोतागण

बृजेश यादव
खुटहन, जौनपुर। यूनिक आईडिया एजूकेशन पब्लिक स्कूल मरहट के प्रांगण में आयोजित 8 दिवसीय संगीतमयी श्रीराम कथा के 7वें दिन शनिवार को राम वनगमन, भरत मिलाप तथा राम-केवट संवाद का प्रसंग सुनाया गया। कथा वाचक धर्मराज तिवारी जी ने कहा कि भरत जैसा भाई इस कलयुग में मिलना मुश्किल है। राम-केवट का प्रसंग सुन पंडाल में बैठे स्रोता भाव विभोर हो गये।
कथा वाचक ने राम कथा में कहा कि भगवान राम मर्यादा स्थापित करने को मानव शरीर में अवतरित हुए। पिता की आज्ञा पर वह वन चले गए। भगवान राम वन जाने के लिए गंगा घाट पर खड़े होकर केवट से नाव लाने को कहते हैं लेकिन केवट मना कर देता है और पहले पैर पखारने की बात कहता है। केवट भगवान का पैर धुले बगैर नाव में बैठाने को तैयार नहीं होता है। राम-केवट संवाद का प्रसंग सुनकर श्रोता भक्ति विभोर हो गये।
उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम द्वारा स्थापित आदर्श समाज में आज भी कायम है। भगवान प्रेम भाव के भूखे हैं। वे अपने भक्तों के कल्याण हेतु सदैव ततपर रहते हैं। भैया भरत के चरित्र पर कहा कि भरत ने भगवान राम के वनगमन के बाद खड़ाऊं को सिर पर रखकर राजभोग की बजाय तपस्या की।
इस अवसर पर सुभाष उपाध्याय, सुधाकर सिंह, दिनेश सिंह, संतोष सिंह, रामाश्रय उपाध्याय, जिला जीत यादव, सुरेंद्र, प्रदीप सिंह, किन्नू सिंह, लकी सिंह, नर्वदेश्वर दूबे, गीता उपाध्याय, रेखा सिंह, उषा सिंह, बेबी सिंह, गीता सोनी, राधा सोनी, नीलम, सुमन सिंह प्रधान, रमापति मिश्रा, कमला सिंह, मनोज सिंह, अमरनाथ पाण्डेय आदि मौजूद रहे।

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