Monday, April 29, 2024
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पीड़ित परिवार से शव पोस्टमार्टम के लिये कौन और क्यों मांगता है रूपया?

मनीष श्रीवास्तव
जौनपुर। जिले के स्वास्थ्य विभाग महकमे में बिना तनख्वाह के दो ऐसे व्यक्ति कार्य कर रहे हैं जो शवों को सील करने से लेकर चीर—फाड़ करने तक का काम बखूबी से विगत 10 वर्षों से करते चले आ रहे हैं। वह शवों के साथ आए उनके परिजनों से शव का पोस्टमार्टम करने के नाम पर रुपये लेने को इसलिए मजबूर करते हैं, क्योंकि उनसे बिना तनख्वाह के विगत 10 वर्षों से कार्य कराया जा रहा है। दुर्घटनाग्रस्त शवों को अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय के शव घर में रखने से लेकर शव का चीर—फाड़ तक करने वाले दो सगे भाई हैं जो अपने परिवार की जीविका चलाने के लिए ऐसा काम करने को मजबूर है। कोई भी इंसान के वश का यह काम नहीं है। फिर भी दोनों भाई बड़े ही निष्ठापूर्वक इस कार्य को विगत दस वर्षो से लगातार करते चलें आ रहे हैं।
बता दें कि नगर के पचहटियां स्थित चीरघर में दुर्घटनाओं में हुई मौत में पहुँचाए गये शवों को सील करने से लेकर पोस्टमार्टम करने तक दो व्यक्ति द्वारा पीड़ित परिवार वालो से 5 सौ रुपये से 1 हजार रुपये की मांग करते हैं। बताया जा रहा है कि नगर स्थित चीरघर में शवों का चीर—फाड़ करने के लिए नदीम नामक व्यक्ति की तैनाती हैं जो डॉक्टर और फार्मासिस्ट से पहले ही चीरघर में उपस्थित रहता है। वहीं यह भी बताया जा रहा है कि जिसे स्वास्थ्य विभाग कर्मियों द्वारा बिना तनख्वाह के ऐसे कामों के लिए रखा गया है।
इस बाबत लालू नामक व्यक्ति ने बताया कि लाशों को सील करने से लेकर चीर—फाड़ करने तक पीड़ित परिवार वालो से 5 सौ रुपये से 1 हजार रुपये की डिमांड करने पर हम लोग मजबूर इसलिए हैं कि हम दोनों भाइयों को सरकार द्वारा कोई वेतन नहीं मिलता हैं। विगत 10 वर्षों से ऐसे काम को करने के लिए हम दोनों भाइयों को किसी प्रकार का कोई वेतन नहीं मुहैया कराया जाता है। इसके चलते शवों के साथ आए परिवार वाले से रुपये की मांग पूरी कर अपने परिवार की जीविका चलाने को मजबूर हैं हम दोनों भाई।
बड़ी हैरत की बात यह है कि परिवार में किसी की हादसे में मौत हो जाय या उन पर दुखों का पहाड़ टूट जाय, इन सब बातों का जिला अस्पताल के शव घर पर बिना तनख्वाह पर कार्य करने वाले लालू एवं चीरघर पर बिना तनख्वाह पर कार्य करने वाले नदीम को इन बातों से कोई लेना—देना नहीं है कि वह कौन था, कैसे मरा, कहां का रहने वाला था। उन्हें तो बस शव का चीर—फाड़ करने से पहले जब तक उसकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक वह शव को हाथ तक नहीं लगाएंगे।
ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे काम के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा दो सगे भाइयों को विगत 10 वर्षों से बिना तनख्वाह रखकर उन दोनों भाइयों का शोषण किया जा रहा है जबकि ऐसा कार्य कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा दोनों भाइयों को स्थाई कर्मचारी के रूप में तैनात कर तनख्वाह मुहैया कराया जाना चाहिए लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदारों की घोर लापरवाही का खामियाजा शवघर पहुचे पीड़ित परिवार वालों को भोगना पड़ रहा है जो अत्यंत दुःखद और शर्मनाक है।

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