Monday, April 29, 2024
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बिना विश्लेषण के भविष्यवाणी गलत साबित होते हैं

डा. दिलीप सिंह एडवोकेट
भारत और दुनिया के जलवायु को अधिकतर मौसम विज्ञानी वैज्ञानिक और सुपर कंप्यूटर तथा मौसम विभाग इसलिए नहीं समझ पाते हैं, क्योंकि यह केवल देश या धरती का ही चक्र नहीं है। यह सीधे-सीधे संपूर्ण सौरमंडल और सूर्य चंद्रमा ग्रह नक्षत्र से जुड़ा हुआ है। इस प्रकार भारत या विश्व या जौनपुर के मौसम के लिए स्थानीय हवाएं, मानसूनी हवाएं, पश्चिमी उत्तर पश्चिमी हवाएं, समुद्र से चलने वाली हवाएं, हिमालय और तिब्बत का पठार दक्षिण भारत का खुला पत्थर समुद्र में उठने वाला ज्वार भाटा और सुनामी पृथ्वी और सूर्य की लगातार बदलती स्थिति और चंद्रमा का घटना—बढ़ाना, आकाशगंगा में सूर्य का अचानक गर्म या ठंडे स्थान में पहुंच जाना, सूर्य में लगातार हो रही नाभिकीय क्रियाएं सौर ज्वालाएं और सौर विस्फोट उत्तर और दक्षिण ध्रुवों की हवाएं अचानक आने वाले आंधी तूफान बवंडर और बड़े-बड़े उल्का खंडों की बरसात वनों का काटना, पेड़—पौधे हरियाली का लगातार काम होते चले जाना, उद्योग धंधों का लगातार बढ़ता उनसे उत्पन्न प्रदूषण नदियों, तालाबों, झीलों समुद्री का लगातार प्रदूषित होना। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक कूड़ा कचरा युद्ध रेल बस हवाई जहाज और उपग्रह से उत्पन्न होने वाले अंतरिक्ष के कचरे सबके सब धरती पर प्रभाव डालकर हरित गृह प्रभाव अर्थात ग्रीन हाउस इफेक्ट पैदा करके गर्मी सर्दी बरसात की तीव्रता बढ़ा रहे हैं।

धरती को असंतुलित कर रहे हैं जिसके कारण प्रचंड ज्वालामुखी विस्फोट सुनामी लहरें और भूकंप धरती और मौसम की दशा और दिशा बदलने में भयानक भूमिका निभा रहे हैं। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में पर्वतों पर लगातार मनुष्यों की आवाजाही बढ़ने से भी वातावरण परिवर्तित हो रहा है जिसका कारण मौसम में अचानक जो परिवर्तन होता है, उसे 99% लोग नहीं समझ पाते हैं। अगर सच्चाई और ईमानदारी से कहा जाए तो वर्तमान समय में सामान्य मनुष्य से लेकर दुनिया भर की सरकार धन कुबेर और बुद्धिजीवी जितने काम कर रहे हैं। वह सभी मौसम पारिस्थितिक तंत्र को बिगाड़ कर प्रदूषण बढ़ाकर सारी धरती को महा विनाश के कगार पर ले जा रहे हैं। सबसे दुखद स्थिति तो यह है कि आजकल के लोग यंत्र मा यंत्र संगणक और यंत्र मानव पर इतना अधिक विश्वास करने लगे हैं कि वह सही गलत जो कह देता है बिना उसके विश्लेषण किया, उन पर विश्वास कर लेते हैं, इसीलिए मौसम सहित सारी भविष्यवाणी और आकलन अधिकतर गलत होते हैं।

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