Monday, April 29, 2024
No menu items!

आरती: राजराजेश्वर भगवान श्री सहस्रार्जुन जी

ॐ जय कार्त्तवीर्य हरे,
ॐ जय सहस्रबाहु हरे।
हम भक्तों के कष्ट प्रभु ,
हर पल दूर करें।।ॐ जय।।

कार्तिक सुदी सप्तमी पर,
वसुंधरा धन्य तरे।
विष्णु कृपा से चक्र सुदर्शन,
कार्तवीर्य रूप धरे।।ॐ जय।।

दस वर दीन्हि गुरुदत्ता,
सहस्र भुजा धरे।
क्षात्र धर्म की दीक्षा लेकर,
जन कल्याण करे।।ॐ जय।।

अष्ठ सिद्धी नव नीधि के ज्ञाता,
बीज मंत्र धरे।
सप्तद्वीप जीत कर प्रभु जी,
अश्वमेध यज्ञ करे।।ॐ जय।।

लंका पति रावण का,
अभिमान चूर करे।
बंदीगृह में शीश पर,
ग्यारह दीप धरे।।ॐ जय।।

गदा, त्रिशूल, धनुधारी,
रत्कांबर तन धरे।
अक्षत, चंदन, षुष्प चढावे,
धृत का दीप जरे।।ॐ जय।।

वेद पुराण में यश गाथा,
नारद गान करे।
सुख संपत्ति फल पावे,
जो नित्य ध्यान धरे।।ॐ जय।।

दीन बन्धु दु:खहारी,
तुमसे विनय करें।
भारत जन करे आरती,
सबकी विपदा हरे।।ॐ जय।।

ॐ जय कार्तवीर्य हरे,
ॐ जय सहस्रबाहु हरे।
हम भक्तो के कष्ट प्रभु,
हर पल दूर करें।।ॐ जय।।

रचनाकार—— भरत लाल बाबू लाल जायसवाल

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular