Monday, April 29, 2024
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मुसहर समुदाय के लोगों के लिये वरदान साबित हो रहा आस्था महिला संस्थान

बनवासी महिलाओं को रोजगार व शिक्षा से जोड़ना मेरा मकसद: संतोष
जौनपुर सहित वाराणसी, सोनभद्र, राबर्ट्सगंज सहित अन्य जिले संस्था करती है काम
अमित गुप्ता/विनोद कुमार
चन्दवक, जौनपुर। महान कवि दुष्यंत कुमार की लिखी कविता की एक पंक्ति “रहनुमाओ के अदाओं पर फिदा है दुनिया इस बहकती हुई दुनिया को संभालो यारो कैसे आकाश में सुराग नहीं हो सकता एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो” को चरितार्थ करता आस्था महिला एवं बाल विकास संस्थान जो अनुसूचित जनजाति के मुसहर समाज के लिए वरदान साबित हो रहा है।
गौरतलब है कि गांव-गिरांव से दूर झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी गुजर बसर करने वाले मुसहर जाति के लोगों का जीवन बद से बत्तर होता है। प्रदेश की योगी सरकार ने इस वंचित वर्ग की सुधि लेते हुए आवास योजना के जरिए समाज की मुख्य धारा से कटे अनुसूचित जनजाति के मुसहर समाज के परिवारों को पक्के मकान बनाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में आस्था महिला एवं बाल विकास संस्थान भी सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजनाओं के प्रचार प्रसार में अग्रणी भूमिका निभा रही है।
बता दें कि आस्था महिला एवं बाल विकास संस्थान के संस्थापक हटवा निवासी संतोष पाण्डेय मध्य वर्गीय परिवार से आते हैं। उनके पिता राजेंद्र प्रसाद पाण्डेय सेवायोजना कार्यालय में वरिष्ठ लिपिक के पद पर कार्यरत थे। श्री पाण्डेय को बचपन से ही मुसहर समाज के लोगो के प्रति लगाव रहा है।अपनी शिक्षा दीक्षा पूरी करने के बाद समाजसेवा करने का मन बना लिये जिसके बाद आस्था महिला एवं बाल विकास संस्थान का निर्माण कर समाजसेवा करने लग गये अपने छोटे से कार्यकाल में संस्था ने दो हजार से ज्यादा बाल श्रमिक बच्चो मुक्त करा कर शिक्षा के मुख्यधारा से जोड़ने का कार्य करते हुए तीन हजार बनवासी महिलाओं को अलग अलग रोजगार जैसे दोना, पत्तल, गुड़िया की माला, आचार, मुरब्बा सहित अन्य कार्यों से जोड़ते हुए 40 बाल विवाह समुदाय के माध्यम से रूकवाने व महिलाओं को कानूनी साक्षरता शिविर के माध्यम से जागरूक करने के साथ ही मानव तस्करी जैसे कई मामलों में हस्तक्षेप किया गया।
श्री पाण्डेय ने बताया कि अपने जीवन में एक ही सपना लेकर जीवन जीते बड़े हुए कि मुसहर समुदाय के लोगो को कैसे शोषण मुक्त किया जाय उन्होंने बताया कि बचपन में स्कूल जाते समय रास्ते में मुसहर समुदाय की बस्ती पड़ती थी। जाते थे तो रास्ते में बनवासी बस्ती पड़ती थी जहां उच्च जाति के लोगो का दबाब होता था जिनके बच्चे अपने माता पिता के साथ ईट भट्ठे पर काम करते थे और महिलाओं का शोषण भी होता था ऐसी घटना देखने व सुनने को आये दिन मिलती थी जिसके बाद मैंने यह दृढ़ संकल्प लिया कि मेरे जीवन असहाय, गरीब व मुसहर समाज के लिए सदैव समर्पित रहेगा जिसका नतीजा है कि आज कई परिवारों को शिक्षा, रोजगार समेत अन्य कार्य किए जा रहे हैं। संस्था की शुरुआत डोभी ब्लॉक से सुरू की थी और आज हमारी संस्था जौनपुर जनपद सहित वाराणसी, सोनभद्र, राबर्ट्सगंज समेत अन्य जिलों में काम कर रही है। विडंबना तो देखिए ऊपर वाला हर किसी को एक समान बनाया है परंतु जन्म लेने के बाद इंसानों को जातियों में बाध कर भेदभाव किया जाता है।

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