Sunday, April 28, 2024
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ज्ञान का दीपक जलायें तब मने दीपावली

  • जौनपुर में कवियों ने “काव्य-दीप” जलाकर मनायी दीपावली

अजय पाण्डेय
जौनपुर। दीपावली के प्रकाशोत्सव पर कवियों ने “काव्य दीप” जलाकर दीपावली का त्यौहार मनाया। वाराणसी से पधारे कवि डॉ. पुष्पेंद्र अस्थाना ने गोष्ठी की अध्यक्षता व वरिष्ठ कवि साहित्यकार, व्यंग्यकार सभाजीत द्विवेदी प्रखर ने संचालन किया। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती के मूर्ति पर माल्यार्पण, दीप प्रज्वलन एवं कवित्री विभा तिवारी द्वारा मां सरस्वती वंदना से हुआ।

संस्था के संस्थापक डा. प्रमोद वाचस्पति ने उपस्थित सभी कवियों एवं कवित्रियों को पुष्पहार द्वारा सम्मानित किया। कवि अमृत प्रकाश ने अपनी रचना द्वारा समाज को एक संदेश देने का सराहनीय प्रयास किया। हमेशा काम लेना दिल से प्यारे, ना घबराना कभी मुश्किल से प्यारे। डा. संजय सिंह सागर ने अपनी रचना के माध्यम से प्रेम की पराकाष्ठा को दर्शाने में सफलता प्राप्त की- मैं वहीं पर खड़ा तुमको मिल जाऊंगा, जिस जगह तुम गए थे मुझे छोड़कर। जिंदगी के फलसफा को शायर शोहरत जौनपुरी ने कुछ इस तरह पेश किया- मैंने माना कि मुफलिसी है अभी, ग़म ना कर जिंदगी पड़ी है अभी। राजनीति में दल—बदल का व्यंगात्मक चित्रण करते हुए कवि चंद्रमणि पांडेय ने काफी तालियां बटोरी- आ जाओ साथ फिर कहीं कभी ये बात हो ना हो, शायद फिर इस सदन में मुलाकात हो ना हो।

कवि राजेश पांडेय की इन पंक्तियों को लोगों ने खूब सराहा- भलाई और बुराई में भले का ही भला होता, भलाई में भला कैसे भला कुछ हो नहीं सकता। वरिष्ठ रचनाकार रामजीत मिश्र की पंक्तियों ने गोष्ठी को ऊंचाइयां प्रदान की- मेरी अना का चोर दिल में बैठा इस तरह, कोशिश तमाम पर भी वो बाहर ना हो सका। वरिष्ठ कवित्री विभा तिवारी, कवित्री डा. सीमा सिंह, कवित्री प्रवीणता श्रीवास्तव व कार्यक्रम के प्रायोजक सुमति श्रीवास्तव के काव्य पाठ एवं प्रस्तुति ने काव्य गोष्ठी को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इसी के साथ वरिष्ठ कवि रमेश चंद सेठ आशिक जौनपुरी, शायर/कवि आरपी सोनकर तल्ख मेहनाज पुरी, शायर अंसार जौनपुरी, डा. अंगद रही का काव्य पाठ प्रशंसनीय रहा।

अध्यक्षता कर रहे वाराणसी के कवि डा. पुष्पेंद्र अस्थाना की रचनाओं ने काफी तालियां बटोरी और दीपावली मनाने हेतु नया संदेश दिया- ज्ञान का दीपक जलाएं तब मने दीपावली, हम अंधेरे को मिटाए तब मने दीपावली। कार्यक्रम का संचालन करते हुये वरिष्ठ कवि प्रखर जी अपने व्यंगात्मक व चुटकुले अंदाज में सभी को हंसाते व गुदगुदाते रहे। अंत में कार्यक्रम के आयोजक व वरिष्ठ समाजसेवी वीरेंद्र श्रीवास्तव ने सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

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