Sunday, April 28, 2024
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विद्युत विभाग के संविदा कर्मी तीसरे दिन भी डटे रहे धरना प्रदर्शन पर

  • 20 कुंतल तांबा गायब, आखिर जिम्मेदार कौन?: संविदाकर्मी

अजय पाण्डेय
जौनपुर। विद्युत विभाग द्वारा संविदा कर्मचारियों के शोषण का मामला तूल पकड़ते ही विभागीय जवाबदारों के हाथ—पांव फूलने लगे। बताते चलें कि संविदा कर्मियों को विभागीय अंक गणित में फंसाकर हलाकान कर रहे विद्युत विभाग के उच्चस्थ अधिकारी। अधीक्षण अभियंता के सामने खड़ा हुआ एक यक्ष प्रश्न?
सूत्रों के अनुसार 3 और 4 नवम्बर 2022 को हुसेनाबाद पॉवर हाउस पर पैनल ब्रेकर बदला गया और उसमें से निकलने वाला लगभग 20 कुंतल तांबा, पीतल किस हेड पर जमा किया गया और किसकी देख—रेख में, आज तक उसका पता नहीं चल सका जबकि यह जांच का विषय बन चुका है। विभाग के उच्चस्थ अधिकारी द्वारा राजस्व की कितनी क्षति पहुंचाई जाती है, इसका निस्तारण कौन करेगा जबकि यह चरितार्थ हो रहा हो कि सजनी हमहू राजकुमार। जो हम करेंगे वह सही, जो तुम करोगे सही होकर भी गलत होगा, जो 365 दिनों में न छुट्टी, न आराम, बस विभाग द्वारा दिए गए आदेश पर अमल करना और जिले की विद्युत आपूर्ति पूरी करने के लिए सदैव तत्पर रहने वालों के ही घर पर अब अंधेरा का काबिज हो रहा है परन्तु शासन प्रशासन एक दम चुप्पी साधे अब अपने बचाव में आपसी आरोप—प्रत्यारोप शुरू हो चुका है।
अधिकारी वही परन्तु भाषा में परिवर्तन आखिर क्यों? पुराने संविदा कर्मियों को दरकिनार कर नए संविदाकर्मियों की भर्ती कराया गया है। भर्ती हुए संविदाकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया क्या और किस प्रकार की गई है, यह भी जांच का विषय है। सूत्रों की मानें तो जो विभाग के लिए विशेष परेशानियों का माह होता है, गर्मी और बारिश उस समय उपरोक्त कर्मियों से काम कराया गया और जब अपना वेतन की मांग किये तो आज अधीक्षण अभियंता द्वारा जेई और एसडीओ पर आरोप लगाकर कहा जा रहा है कि जब इनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज था तो उन कर्मियों की उपस्थिति और काम कैसे कराया गया है? क्या उस समय महोदय कहीं अन्य जनपद में रहे? यदि ऐसा रहा तो लिखित क्यों नहीं दिया गया था?
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार अधीक्षण अभियंता द्वारा आदेशित किया गया है कि जो भी अनुपस्थित पाये जाये, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जाय। संविदा कर्मियों को पारिश्रमिक न देकर उनके साथ जो बर्ताव विभाग द्वारा किया जा रहा है, क्या वह उचित और न्याय प्रिय है या निंदनीय एवं दुर्व्यवहारिक है। प्रेस से बात करते हुए संविदा कर्मियों ने आपबीती बताते हुए कहा कि आज भी विभाग में विद्युत वितरण में कोई भी अवरोध उत्पन्न होते ही हम लोगों को बुलाकर काम लिया जाता है, फिर हम लोगों के साथ हमारा विभाग सौतेला व्यवहार क्यों कर रहा है?
विद्युत विभाग के संविदा कर्मचारियों के वेतन भुगतान न होने के कारण आहत और भूखमरी की जो पीड़ा है, उसी के कारण हम सभी धरना प्रदर्शन अधीक्षण अभियन्ता, विद्युत वितरण मण्डल प्रथम के कार्यालय के बाहर कर रहे है। संविदाकर्मियों द्वारा प्रदर्शन का कारण पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को 3 टुकड़ों में विभाजित कर सम्पूर्ण विद्युत वितरण का निजीकरण करने के प्रदेश सरकार के प्रस्ताव के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति,उ0प्र0 द्वारा चलाये जा रहे अभियान में सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर व अभियन्ता/अधिकारीगण शामिल रहे हैं जिसमें निविदा कर्मचारी भी शामिल रहे हैं। अभियान में शामिल रहने के कारण निविदा कर्मचारियों का विगत 08 माह से वेतन का भुगतान नही किया जा रहा है।
इस सन्दर्भ में निविदा कर्मचारियों द्वारा विभागीय अधिकारीगण व अनुबन्धित कम्पनी को निरन्तर 8 माह से बार-बार बताते हुये बकाये वेतन के साथ वर्तमान वेतन का भुगतान कराने का अनुरोध किया जाता रहा है परन्तु आज तक उन विंदुओ पर विभागीय/अनुबन्धित कम्पनी द्वारा किसी भी प्रकार से राहत नहीं दी गयी जबकि प्रत्येक माह की उपस्थिति तो प्रेषित की जाती है किन्तु उनके वेतन का भुगतान नहीं किया गया और आश्वासन दिया जाता रहा कि “भुगतान की कार्यवाही की जा रही है और जल्दी ही बकाया वेतन सहित वर्तमान माह के वेतन का भुगतान कर दिया जायेगा। आप काम करते रहिए। बताते हुए संविदाकर्मियों ने कहा कि इस विवाद को जिलाधिकारी महोदय के समक्ष भी पेश किया गया था किन्तु न किसी प्रकार के बकाये वेतन का भुगतान अभी तक हुआ है और न ही वर्तमान वेतन का भुगतान हो रहा है।
वेतन के भुगतान न होने से निविदा कर्मचारियों की भूखमरी की स्थिति बन चुकी है और उनको अपने परिवार का भरण पोषण करना कठिन हो गया है। विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से बनाये रखने एवं अनुरक्षण/परिचालन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के सम्पादन में निविदा कर्मचारियों की अहम भूमिका रहती है और आगे भी रहेगी। विभाग/अनुबन्धित कम्पनी द्वारा संविदा कर्मचारियों का शोषण करना एवं वेतन का भुगतान न करना अत्यन्त ही निन्दनीय है। अतः ऐसे रवैये को बदला जाना अति आवश्यक है। सरकार को कर्मचारियों की समस्याओं का निस्तारण जल्द से जल्द करना चाहिए। यदि विभाग/अनुबन्धित कम्पनी द्वारा इनकी समस्याओं का निवारण नहीं किया जाता है और वेतन का भुगतान नही किया जाता है तो हम सभी निविदा कर्मचारियों द्वारा अनिश्चतकालीन धरना और कार्य का बहिष्कार करते हुये धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा। सवाल उठता है कि जब निविदा कर्मियों पर मुकद्दमा दर्ज कराया गया अथवा उन्हें दोषी ठहराया गया तो फिर उनकी उपस्थिति दर्ज कराकर उनसे काम क्यों लिया गया? धरना प्रदर्शन पर मुख्य रूप से सन्तराम यादव, नरायण दास मौर्या, गो० जमाल, कुन्दन, प्रदीप कुमार (मुन्ना), सतीश सिंह, अशुतोष दूबे, कुंवर सिंह सहित समस्त निविदा कर्मचारी सम्मलित रहे।

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