Sunday, April 28, 2024
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सीआरपीएफ जवान ने मित्र का करवाया किडनी ट्रांसप्लाण्ट

  • जन सहयोग से चन्द्रकान्त को मिला नया जीवन

विपिन मौर्य एडवोकेट/दीपक जायसवाल
मछलीशहर, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के बामी निवासी चन्द्रकान्त उपाध्याय मुम्बई में रहकर आटो रिक्शा चलाते थे और उनकी दोनों किडनियां खराब हो गई थीं और 3 वर्ष से डायलिसिस पर चल रहे थे। लगातार बीमारी की वजह से आर्थिक स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई। इसी बीच चंद्रकांत की माता जी का निधन हो गया जिसके बाद फिर 10 वर्षीय पुत्र का सर्पदंश से निधन होने के बाद पिता जी को दिल का दौरा पड़ने की वजह से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। जीवन बचाने का एक मात्र रास्ता किडनी ट्रांसप्लांट था। उनकी पत्नी ने अपनी किडनी डोनेट करने का निर्णय लिया लेकिन ट्रान्सप्लांट और उसके बाद दवा में कुल 8 लाख रुपए का खर्च था।

इसके लिये 101 आरएएफ प्रयागराज में तैनात सीआरपीएफ जवान संजीव सिंह ने मित्रता की अनोखी मिशाल पेश की। उन्होने अपने वेतन से सहयोग करते हुए अपने अन्य साथियों के साथ सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर अपने मित्र के इलाज के लिए मुहिम चलाई। सभी से मदउ करने का अनुरोध किया जिसमें पत्रकारों ने भी सहयोग किया। यह खबर क्षेत्र में फैलते ही बामी सहित क्षेत्र के अनेक गांवों के क्षेत्रवासियों के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र में रह रहे लोगों ने बढ़—चढ़कर सहयोग किया। बानर सेना के प्रमुख अजीत सिंह ने भी अपने संगठन की ओर से आर्थिक सहयोग किया। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2,62,500 रुपए की सहायता चिकित्सा हेतु मिली। कुल मिलाकर 8 लाख रुपए की राशि इकठ्ठा हो गई जिससे चंद्रकांत का मुम्बई के केएम हास्पिटल में सफलतापूर्वक आपरेशन हुआ। वह स्वस्थ होकर गांव आ गये हैं और उनके इलाज में सहयोग करने वाले सभी सहयोगियों को उन्होने धन्यवाद दिया है।

ट्रान्सप्लांट के लिए सोशल मीडिया पर प्रमुख रूप से मुहिम चलाने वाले सीआरपीएफ में कार्यरत और चंद्रकान्त के मित्र बामी के ही संजीव सिंह कहते हैं कि चन्द्रकान्त के किडनी ट्रांसप्लांट में लोगों और संगठनों ने जो सहयोग किया है, इससे समाज में भाईचारे की मिसाल का सकारात्मक संदेश गया है। लोगों ने मानवता की मिशाल पेश की है। इससे हम सबको भविष्य में अन्य किसी की मदत के लिये सकारात्मक ऊर्जा मिली है।

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