- धर्म की स्थापना ही भगवान के जन्म का उद्देश्य: राजेश्वर जी
तरुण चौबे
सुजानगंज, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के बखोपुर ग्रामसभा में दिनेश मिश्र प्रबंधक राज नारायण इंटर कालेज प्र. कार्याध्यक्ष विहिप के यहां आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में चौथे दिन की कथा में नवम तथा दसवें स्कन्ध की कथा सम्पन्न हूई। चौथे दिन की कथा में भगवान श्री कृष्ण जी के प्राकट्य उत्सव के रुप में मनाया गया जिसमें भगवान श्रीकृष्ण जी का कारागार में जन्म से लेकर वासुदेव जी द्वारा टोकरी में में रखकर जिस प्रकार से मथुरा में ले जाया गया, उन सभी पवित्र बाल लीलाओं का झांकियों के माध्यम से जीवंत वर्णन किया गया। माताओं द्वारा भगवान श्री कृष्ण जी के जन्मोपरांत मंगल गीत गाए जा रहे थे तथा नन्द घर आनन्द भयो जय कन्हैया लाल कि श्रीमन नारायण नारायण जैसे मंगल जय आनन्ददायक उच्चारण के साथ उपस्थित भक्तों ने हर्षोल्लास, पुष्पवर्षा कर भगवान के प्राकट्य उत्सव का दर्शन किया।
आगे कथा व्यास जी द्वारा भगवान के जन्म के उद्देश्य के बारे में वर्णन करते हुए बताया कि भगवान ने स्वयं कहा है कि जब-जब अधर्म अपने चरम पर रहता है। चारों तरफ़ आतताइयों द्वारा सात्विक विचारो का उन्मूलन किया जाता है तथा भक्तों को भक्ति भी करना कठिन हो जाता है तब-तब मैं विविध रूपो में उस अनाचार, पाप तथा अधर्म का उन्मूलन करने तथा धर्म की स्थापना हेतु मैं अवतार लेता हूं। अतः द्वापर युग में भी सारे अधर्म एवं अनाचार को जब अपने चरम पर था तब भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना तथा लोक-मंगल के लिए भगवान वासुदेव तथा माता देवकी के पुत्र के रूप में इस धरा धाम पर साधारण जीव के रूप में अवतार लेकर कंस तथा उसके कई राक्षसों का वध कर पुनः धर्म की स्थापना की। इस अवसर पर तमाम लोग उपस्थित रहे।