Sunday, April 28, 2024
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पत्रकारिता की आड़ में वसूली का कारोबार

  • ठेले, खोमचे, फुटपाथ विक्रेता तक परेशान, कौन ले संज्ञान?

तामीर हसन शीबू
जौनपुर। पत्रकारों पर वसूली का इल्ज़ाम नया नहीं है। पूर्व में भी सैकड़ों पत्रकारों पर वसूली के मुकदमे लिखे जा चुके हैं परंतु जिस प्रकार से जौनपुर में दिन—प्रतिदिन पत्रकारों की संख्या में बाढ़ आती जा रही है। वैसे—वैसे पत्रकारों पर वसूली के आरोपों की घटनाएं बढ़ती जा रही है। बढ़ती बेरोजगारी में पढ़े—लिखे से लेकर अनपढ़ तक सभी पत्रकार हैं। जिन्हें कलम पकड़ना भी नहीं आता, वह भी पत्रकार और जिन्हें खबरों का ज्ञान नहीं, वह भी पत्रकार और हर पत्रकार अपने आपमें बहुत बड़ा पत्रकार हैं, उनका अपना क्षेत्र है अपना थाना है जहां मात्र उनका ही सिक्का चलता है। हद तो तब हूई जब यह जानकारी मिली कि कुछ तो न्यूज पेपर व पत्रकार संगठन भी वसूली के दम पर चल रहे हैं। महीने का जो ज्यादा वसूली का हिस्सा देगा, उसे उतना बड़ा पद मिल जाएगा। ऐसे कृत्यों ने समाचार पत्रों और संगठनों को तो संचालित कर दिया, मगर पत्रकारों के मान सम्मान को कहां पहुंचा दिया, यह शायद उन लोगों को पता नहीं या ऐसे लोग इस से मतलब रखना भी नहीं चाहते। जौनपुर में ऐसे लोगों की लहर है।

इनका अपना एक बड़ा गिरोह है। यह लोग अपनी बात मनवाने व वर्चस्व बनाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। चाहे अवैध वसूली हो या अवैध मंडियां या अवैध स्टैंड या अवैध हास्पिटल या मानकविहीन स्कूल या किसी पर फर्जी मुकदमा लिखाना हो, ये सब करवा सकते हैं। हद तो तब हूई जब नगर के कोतवाली थाना क्षेत्र के कुछ खोमचे व फुटपाथ दुकानदारों ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि शाम को प्रतिदिन 100 रू देना पड़ता है। नहीं दिया तो पुलिस से दुकान फेंकवाने की धमकी दी जाती है। इस कारण कोई दुकानदार भय के कारण इन तथाकथित लोगों के खिलाफ मुंह खोलने से बचते हैं। रेलवे जंक्शन के एक चाय वाले ने बताया कि देर रात तक सिगरेट और चाय मुफ्त में दो। नहीं दिया तो अवैध अतिक्रमण की खबर छप जाएगी। हम गरीब लोग हैं साहब। हमें तो हर चीज़ पर टैक्स देना ही है।

चाहे सरकार ले या गुन्डे या ये तथाकथित पत्रकार। ऐसे लोगों के खिलाफ खड़े होने वालों के खिलाफ यह सब लामबंद होकर अपने किसी चहेते से तहरीर दिलाकर और स्वयं गवाह बन फर्जी मुकदमा लिखाने से भी गुरेज नहीं करते। यही कारण है कि कोई सम्मानित पत्रकार या समाजसेवी इनका विरोध नहीं करता। मान—सम्मान, प्रतिष्ठा का इनसे दूर दूर तक कोई सरोकार नहीं है। इन्हें कुछ भ्रष्ट पत्रकारों द्वारा ही अपने स्वार्थ के लिए पैदा किया गया है। जो आज तक गरीब हो या अमीर थाना हो या सड़क, सब जगह इनका कारोबार चलता है। अगर शासन—प्रशासन द्वारा अलग से एक टीम का गठन कर अभियान चलाया जाए तो शायद जौनपुर में ही पत्रकारों की हजारों की संख्या घटकर सैकड़ों में आ जाय और आम जनमानस को भी वसूली से निजात मिल सके।

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