Sunday, April 28, 2024
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आवारा पशु का खौफ:

  • लोग बोले- अपराधियों से ज्यादा आवारा साड़ों से लगता है डर
  • मुख्यमंत्री के आदेश का अधिकारी दिखा रहे ठेंगा

राकेश शर्मा
खेतासराय, जौनपुर। किसानों के फसल को बर्बाद कर देने वाले छुट्टा पशु अब नगर वासियों के जान लेने पर आमादा दिखाई दे रहे हैं। अब तो इन्हें देखकर लोग यमराज के दूत तक कहने लगे हैं, क्योंकि आये दिन क्षेत्र में इन पशुओं से लोग लहूलुहान हो रहे या जान से हाथ धो रहे हैं। ठंड के मौसम में किसान रात भर अलाव जलाकर पशुओं से फसल की रखवाली कर रहे हैं।
कस्बे के दुकानदार और ग्राहक भी बाहुबली छुट्टा पशुओं से सहमे हुए हैं, क्योंकि कब कौन इनकी गिरफ्त में आकर हड्डी पसली तुड़वा ले, यह कहा नहीं जा सकता। बहरहाल प्रसाशन के दावे कुछ भी हो लेकिन धरातल पर छुट्टा पशुओं का खौफ़ साफ देखा जा रहा है। आवारा पशुओं पर लगाम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार सख्त है और हर सम्भव प्रयास का दावा कर रही है लेकिन इसके बावजूद भी आवारा जानवरों का आतंक कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अब आलम यह हो गया है कि इन दिनों लोग अपराधियों और गुंडों से ज्यादा आवारा साड़ों से डर रहे है।
क़स्बा निवासी मों असलम खान, शाहनवर अंसारी, राम बाबू, रामाशीष व पप्पू सोनकर ने बताया कि नगर में खुलेआम विचरण कर रहे यह आवारा सांड प्रतिदिन किसी न किसी पर हमला कर लोगों को घायल कर दे रहे हैं। इतना ही नहीं, इन आवारा सांडों के हमले से कस्बे के आधा दर्जन से ज़्यादा लोग घायल हो चुके हैं। जमदहा निवासी किसान अशोक कहते हैं कि अधिकारी उनकी शिकायतों को सुनने को तैयार नहीं हैं।
गौरतलब है कि लगभग डेढ़ माह के अंतराल में दो लोगों की मौत से पूरे इलाके में दहशत का माहौल हो उठा। 24 अक्टूबर को अब्बोपुर निवासी 80 वर्षीय राजवंती देवी पर सांड ने हमला बोला। उसके बाद 26 अक्टूबर को पोरईकला के 75 वर्षीय छट्ठू राजभर को साड़ ने हमला। हालांकि प्रशासन ने अभियान चलाकर इन्हें पकड़ा। फ़िर भी इनकी जमात इलाक़े में मौजूद है। जिम्मेदारों द्वारा लापरवाही बरतने से लोग ख़ासे आक्रोशित है। क्या प्रशासन किसी की मौत का इंतज़ार कर रहा है?

  • क्या बोले बीडीओ

विकास खण्ड शाहगंज सोंधी के बीडीओ जितेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया की लगातार पशुओं को पकड़ा जा रहा है। अब तक लगभग 150 पशुओं को संरक्षित किया जा चुका है परन्तु लोग बार बार पशु छोड़ दे रहे हैं, इसी वजह से समस्या आ रही है। पशुशालाओं कि क्षमता में वृद्धि किया जा रहा है।

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