Sunday, April 28, 2024
No menu items!

वह बड़े मुग़ालते में था….

देश में है संगठनों की भरमार..
फिर भी…. नए के लिए…!
लगी हुई है कतार पर कतार…
ऐसी स्थितियाँ देखकर,
एक आत्मविश्वासी चोर ने…
मंच से आवाज़ दी… सुनो.. सुनो…
संगठन में शक्ति होती है…
हमने भी सीखा है,
चिड़ियों वाली कहानी से…
इसलिए मैं घोषणा करता हूँ,
नया संगठन बनाने की…!
बात कही… नई वर्दी दिलाने की…
साथ ही बिल्ला और गमछा देकर
सदस्यता दिए जाने की…
फिर… मंच से ही फरमाया…
भाईयों….!.. इसी ढंग से…!
डकैतों और लुटेरों का भी,
अलग-अलग संगठन बनवाऊँगा..
हर एक मामले में एक दूसरे की
तरफदारी करूँगा…और….
उनसे भी करवाऊँगा…साथ ही….
एक दूसरे को फँसने से भी…
आगे बढ़कर बचाऊँगा….
और यह भी सुनो तो सही…!
हमारी भी खर्च होती है,
ऊर्जा,बुद्धि और विवेक…
इस हुनर के लिए… लिहाजा…
यू जी,पी जी,डिप्लोमा,बी टेक…
और शोध कराने की माँग करूँगा,
कमजोर दिल साथियों के लिए…!
पत्राचार कोर्स भी करवाऊँगा…
प्रैक्टिकल में जगह-जगह…
जिंदाबाद-मुर्दाबाद-अमर रहें के..
नारे लगाने की तैयारी करवाऊँगा,
जुलूस के आगे-पीछे और मध्य में
घुसना-चलना भी सिखाऊँगा…
विश्लेषकों को मजबूर कर दूँगा
अपनी शक्ति और क्षमता पर…!
विचार करने के लिए… साथ ही…
दम-दिलासे से कोशिश करूँगा,
मजबूत पुलिस के सामने…
अपना और अपने हुनर का,
अस्तित्व बरकरार रखने को…!
कभी-कभार… सबके बीच में…
अपना असलहा निकाल…!
सीना तानकर हवा में लहराऊँगा..
अपने देशी तमंचे से ही,
हर ओर अपना परचम फहराऊँगा
इसी बड़बोलेपन में….
फेंटें में पड़े तमंचे पर
हाथ क्या लगाया… कि…!
नींद उसकी खुल गई…
सामने देखा तो…
नज़र पुलिस की वर्दी पर थम गई,
अब तो वह बड़ी कश्मकश में था
रुँधे गले से यह सोच रहा था कि..
शायद वह एक हसीन सपने में था
पर नहीं… वह बड़े मुग़ालते में था..
वह बड़े मुग़ालते में था….!
रचनाकार—— जितेन्द्र दुबे
अपर पुलिस अधीक्षक
जनपद-कासगंज

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular