जय आत्मेश्वर
आध्यात्मिक यात्रा
एक ही भाषा, अनुभूति की,
साकार में मिलती, प्रकृति की।
निराकार परमात्मा, आत्मा है अंश,
आधार है पूरी, सृष्टि की।।
ध्यान में भाषा का, काम नहीं,
लिंग जाति धर्म देश, नाम नहीं।
सिर्फ आत्मा, निराकार सबमें है,
सहमति बनेगी, सर्वमान्य वहीं।।
सारा विश्व कुटुंब, बन जाएगा,
सबका होगा, इक आत्मदेव।
ध्यान के माध्यम से, सब संभव,
आत्मेश्वर सबमें हैं, महादेव।।
मैं हूँ एक पवित्र और शुद्ध आत्मा,
मंत्रपर सहमत होगा, अखिल विश्व।
सनातन का सपना, सच होगा,
स्वयं स्थापित होगा, विश्वबन्धुत्व।।
आत्मिक श्रीधर
मो.नं. 9869841188