Monday, April 29, 2024
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26 जून को आरक्षण दिवस के रूप में घोषित किया जाय: अरविन्द पटेल

धूमधाम से मनायी गयी छत्रपति शाहूजी महाराज की जयन्ती
जौनपुर। नगर पंचायत कजगांव में सरदार सेना द्वारा छत्रपति शाहूजी महाराज की जयन्ती धूमधाम से मनाई गयी। जयन्ती अवसर पर सरदार सेना के जिलाध्यक्ष अरविन्द पटेल ने उनकी जीवन काल में किये गये तमाम कार्यों के बारे में बताया कि वह एक भारत में सच्चे प्रजातंत्रवादी और समाज सुधारक के रूप में जाने जाते थे। वे कोल्हापुर के इतिहास में एक अमूल्य मणि के रूप में आज भी प्रसिद्ध हैं।

वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने राजा होते हुए भी दलित और शोषित वर्ग के कष्ट को समझा और सदा उनसे निकटता बनाये रखा। उन्होंने दलित वर्ग के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू की थी। गरीब बच्चों के लिये छात्रावास स्थापित किये और बाहरी छात्रों को शरण-प्रदान करने के आदेश दिये। श्री पटेल ने बताया कि उनके शासन में ‘बाल विवाह’ पर ईमानदारी से प्रतिबंधित लगाया गया। उनके पिता का नाम श्रीमंत जयसिंह राव आबा साहब घाटगे था। उनके बचपन का नाम ‘यशवंत राव’ था।

छत्रपति शिवाजी महाराज (प्रथम) के दूसरे पुत्र के वंशज शिवाजी चतुर्थ कोल्हापुर में राज्य करते थे। राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज का जन्म 26 जून 1874 में हुआ था। बाल्यावस्था में ही बालक यशवंत राव को छत्रपति साहू जी महाराज की हैसियत से कोल्हापुर रियासत की राजगद्दी को सम्भालना पड़ा था। उनकी माता राधाबाई मुधोल राज्य की राजकन्या थीं। पिता जयसिंग रॉव उर्फ़ अबासाहेब घाटगे कागल निवासी थे। उनके दत्तक पिता शिवाजी चतुर्थ व दत्तक माता आनंदी बाई थी। राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज केवल 3 वर्ष के थे तभी उनकी सगी मां राधा बाई की 20 मार्च 1977 को मृत्यु हो गयी। छत्रपति संभाजी की मां का देहांत बचपन में ही हुआ था, इसलिए उनका लालन-पालन जिजा बाई ने किया था।

छत्रपति साहू जी महाराज की उम्र जब 20 वर्ष थी तो उनके पिता अबा साहेब घाटगे की मृत्यु (20 मार्च 1886) हो गयी थी। श्री पटेल ने बताया कि छत्रपति साहू जी महाराज का निधन 10 मई 1922 मुम्बई में हुआ। महाराज ने पुनर्विवाह को क़ानूनी मान्यता दी थी। उनका समाज के किसी भी वर्ग से किसी भी प्रकार का द्वेष नहीं था। उन्होंने सामाजिक परिवर्तन की दिशा में जो क्रन्तिकारी उपाय किये थे, वह इतिहास में याद रखे जायेंगे। श्री पटेल ने यह मांग किया कि 26 जून को आरक्षण दिवस के रूप में घोषित होना चाहिये, ताकि सभी समाज के लोग इसे एक त्योहार के रूप में मनाने का काम करें। इस अवसर पर श्याम सुन्दर पटेल, वृजेन्द्र पटेल, जंग बहादुर, मुन्ना लाल, विकास पटेल, आकाश पटेल, अमन पटेल, सूर्यमणि, लालमन, विशाल पटेल, विनोद गौड़, त्रिलोकी, हरीशंकर पटेल सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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