- 50 वर्ष पूरी कर चुकी है बशीरपुर की रामलीला
वीरेन्द्र यादव
सरायख्वाजा, जौनपुर। नवयुवक मंगल दल रामलीला समिति द्वारा बशीरपुर गांव में चल रहे रामलीला के 6वें दिन महाराज दशरथ गुरु वशिष्ठ से सलाह मशीवरा करके राम के राजतिलक की तैयारी हो रही थी जिसे देख देवताओं में हड़कंप मच जाता है। देवताओं के अनुरोध पर माता सरस्वती मंथरा के जीहवा पर विराजमान हो जाती है। मंथरा ने कैकेई को दो वरदानों का याद दिलाया। मंथरा की सलाह पर कैकेई कोप भवन में चली जाती है। महाराज दशरथ के आने पर कैकेयी दोनों वरदान को याद दिलाती है।
जैसे पहले वरदान में राम की जगह भरत को राजगद्दी और दूसरे में राम को 14 साल का बनवास मांगती है जिसे सुनकर दशरथ की रूह कंपा जाती है। वह तड़पकर जमीन पर गिर पड़े। कैकेई ने वृतांत राम को सुनाया राम वन जाने को तैयारी में लग जाते हैं। राम, सीता, लक्ष्मण को वन जाता देख दर्शक भाव-विभोर हो गए तथा उनकी आंखों से आंसू टपकने लगे।
समिति के लोगों ने बताया कि गांव के लोगों का रामलीला से इतना लगाव है कि लोग रोजी-रोटी के लिए अन्य राज्य में नौकरी करते हैं लेकिन नवरात्रि की शुरुआत होने से पहले ही रामलीला में मंचन करने के लिए चले आते हैं। बशीरपुर गांव के आस पास 50 गांव में रामलीला नहीं होता है, इसलिए यहां पर रामलीला देखने के लिए भारी मात्रा में दर्शक पहुंचते हैं जिससे पात्रों का हौसला बढ़ जाता है। समिति के लोगों का कहना है कि क्षेत्र के लोगों से सहयोग ऐसा मिलता रहा तो हम लोग और काफी दिनों तक रामलीला चलता रहेगा।