Monday, April 29, 2024
No menu items!

मदद के लिये अधिकारियों के कार्यालय के चक्कर लगा रहा शहीद का परिवार

राजन मिश्रा
जौनपुर| जब कोई जवान सेना में भर्ती होता है तो उसका सिर्फ एक मकसद होता है कि दुश्मन देश के लोगों को देश की सीमा से दूर ही रखना। उस समय उस जवान को फक्र होता है कि उसका जीवन देश के काम आ रहा है लेकिन उस जवान को यह नहीं पता होता है कि उसके मौत के बाद उसके अपने परिवार के लोगों को अपने ही देश अपने ही गांव में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और अपमानित भी होना पड़ेगा।
जी हां, आज हम आपको जौनपुर के ऐसे ही सेना के एक जवान के परिवार का दुःख दिखाने जा रहे हैं जो अपने ही गांव में न सिर्फ समस्याओं से जूझ रहा है, बल्कि अपमानित भी हो रहा है।
बता दें कि गौराबादशाहपुर क्षेत्र के खटोलिया गांव के रहने वाले रामशंकर यादव भारतीय सेना में नायक के पद पर कार्यरत थे। सेवा काल के दौरान ही रामशंकर की मौत हो गई। रमाशंकर अपने पीछे अपनी पत्नी उर्मिला और एक बेटे को छोड़ गए थे। धीरे—धीरे समय बदला और बेटा बड़ा हो गया। रमाशंकर के घर तक रास्ता न होने से बेटे ने मां के साथ ग्राम प्रधान से मिलकर रास्ते की गुहार लगाई लेकिन रास्ता नहीं मिला। फिर मां बेटे खंड विकास अधिकारी धर्मापुर, उसके बाद एसडीएम सदर, फिर डीएम और थक—हार कर भाजपा सांसद बीपी सरोज से गुहार लगाई। सांसद ने जिलाधिकारी को जांच कर इस परिवार के घर तक रास्ता बनवाने का लिखित निर्देश भी दिया। बावजूद उसके इस परिवार की समस्या का समाधान नहीं हो सका। आज भी ये परिवार महज घर तक रास्ते के लिए अधिकारियो के कार्यालय के चक्कर लगा रहा है।
पीड़िता उर्मिला का आरोप है कि ऐसा भी नहीं है कि उनके घर तक जाने के लिए रास्ता नहीं मिल सकता, क्योंकि घर के सामने बंजर की जमीन है लेकिन जैसे है मैने रास्ते के लिए अधिकारियो से गुहार लगानी शुरू की। वैसे ही गांव के एक दबंग द्वारा बंजर की जमीन पर बाउंड्री बनाकर कब्जा किया जाने लगा। इस अवैध कब्जे की शिकायत डायल 112 पर पुलिस को दी। एक बार तो पुलिस ने आकर काम रुकवाया लेकिन थोड़ी ही देर बाद दबंगों ने फिर काम लगवा दिया और दुबारा फोन करने पर पुलिस डेढ़ घंटे बाद आई। तब तक दबंगों ने बाउंड्री खड़ी कर ली थी।
अगर शहीद जवान की पत्नी का आरोप सही है तो फिर सवाल ये उठता है कि क्या योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर का खौफ ऐसे दबंगों को नहीं है? क्या सेना में सेवाकाल के दौरान शहीद हुए जवान के परिवार का ऐसे ही सम्मान होता है? अगर नहीं तो फिर आखिर कब तक शहीद का यह परिवार महज एक रास्ते के लिए अधिकारियो से लेकर जनप्रतिनिधियों तक दर-दर की ठोकरें खाता रहेगा?

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular