Monday, April 29, 2024
No menu items!

बैंगलुरू में बैठक संयोग या प्रयोग

वैसे तो चुनावी साल में नेताओं का इस पार्टी से उसे पार्टी में जाना एवं पार्टियों के बैठकों का होना आम बात है लेकिन कुछ स्थान ऐसे होते हैं जो इतिहास में अपनी छाप छोड़ जाते हैं। बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक को संयोग कहा जाए या प्रयोग बेंगलुरु का ऐतिहासिक एवं रोचक तथ्य यह है कि 29 जनवरी 1977 में सत्ता (कांग्रेस) के खिलाफ विपक्षी दल एकजुट हुए थे और जनता पार्टी की स्थापना हुई थी और 1988 मे टेक्नोलॉजी के जनक एवं सबसे ज्यादा बहुमत से सरकार बनाने वाले राजीव गांधी के खिलाफ विपक्षी एका की बैठक हुई।

वह भी बैंगलोर में ही हुई थी जिसमें 4 अलग-अलग पार्टी एक होकर 11 अक्टूबर 1988 को जनता दल का गठन किए थे। भारत में लोग हवाबाजी (इलाहाबादी भाषा में हवा पानी बनाए रैहो गुरु) करके देवी देवता का भी अपमान करते हैं। किसी को मां दुर्गा की संज्ञा दे देते हैं तो किसी को विष्णु का अवतार मान लेते हैं। संविधान लागू होने की पूर्व संध्या पर यानी 25 नवंबर 1949 को डॉ बाबा साहेब अंबेडकर कहे थे। व्यक्ति पूजा तानाशाह या तानाशाही को जन्म देता है। वहीं दुर्गा (श्रीमती इंदिरा गांधी) जब जनता पार्टी सरकार बनाने की कवायत चल रही थी तो एक कमरे में बैठकर रो रही थीं। पूर्व प्रधानमंत्री एवं ओबीसी के मसीहा माने जाने वाले स्व. विश्वनाथ प्रताप सिंह ‘बोफोर्स घोटाले’ की लिस्ट लेकर पूरे भारत में घूमते रहे। न उनसे किसी ने घोटाले में शामिल लोगों के नाम पढ़ने को कहा और न ही वे पढ़े। उसी जनता दल के सहयोगी रही और 1984 के आम चुनाव में 413 के मुकाबले मात्र 2 सीट पाने वाली भारतीय जनता पार्टी के बारे में किसी ने कल्पना ही नहीं की होगी कि एक रोज कांग्रेस को सत्ता से बाहर ही नहीं करेगी, बल्कि दो बार विपक्षी दल बनने से रोक देगी। भारतीय जनता पार्टी के लोग पहले तो यह कह रहे थे कि विपक्षी दल एक हो ही नहीं सकते। 18 एवं 19 जुलाई 2023 को विपक्षी दलों की दूसरी बैठक बेंगलुरु में हुई वहां से जो (इण्डिया नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव एलाइंस) (I.N.D.I.A) इंडिया ‘शब्द’ का बाण निकला, वह जाकर सीधे भारतीय जनता पार्टी की आत्मा पर चोट किया। आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं। मणिपुर राज्य की चर्चा अंतरराष्ट्रीय जगत में हो रही थी लेकिन भारतीय जनता पार्टी मणिपुर पर चर्चा न करके इंडियन मुजाहिदीन एवं ईस्ट इंडिया कंपनी की बात कर रही थी।

प्राचीन काल से भारत भूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं। जैसे— जंबूद्वीप, भारत खण्ड, हिमवर्ष, अजनाभूवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिंद, हिंदुस्तान, इंडिया, भारत। इसमें सबसे ज्यादा लोकमान और प्रचलित रहा है। नामकरण को लेकर सबसे ज्यादा धारणाएं भारत को लेकर ही है। 2020 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल हुई थी। इंडिया ग्रीक शब्द इंडिका से आया है और इस नाम को हटाया जाना चाहिए याचिकाकर्ता ने अदालत से अपील की कि वह केंद्र सरकार को निर्देश दे कि अनुच्छेद 1 में बदलाव कर देश का नाम केवल भारत किया जाय। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ए.एस. बोबडे की अध्यक्षता में कोर्ट ने दखल देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि संविधान मे पहले से ही भारत का जिक्र है। संविधान में लिखा है इंडिया दैट इज भारत। भारत की वैविध्य पूर्ण संस्कृति की तरह अलग-अलग काल खंडों में इसके अलग-अलग नाम मिलते हैं। इन नामों में कभी भूगोल उभकर सामने आता है तो कभी जाति चेतना कभी संस्कार हिंद, हिंदुस्तान, इंडिया, जैसे नामों में भूगोल उभर रहा है। इन नामों के मूल में सिंधु नदी प्रमुखता से नजर आ रही है, मगर सिंधु सिर्फ एक क्षेत्र विशेष की नदी भर नहीं है। सिंधु का अर्थ नदी भी है और सागर भी देश के उत्तर पश्चिम क्षेत्र को किसी जमाने में सिंधु या पंजाब कहते थे तो इसमें एक विशाल उपजाऊ इलाके को वहां बहने वाली 7 अथवा 5 प्रमुख धाराओं से पहचाने की बात तो है। इसी तरह भारत नाम के पीछे सप्तसैंधव क्षेत्र में पनपी अग्निहोत्र संस्कृति की पहचान है।

पौराणिक युग में भरत नाम के अनेक व्यक्ति हुए हैं। दुष्यंत सूक्त के अलावा दशरथ पुत्र भरत प्रसिद्ध है जिन्होंने खड़ाउँ राज किया था। नाट्य शास्त्र वाले भरत मुनि भी है। एक आदर्शी भरत का भी उल्लेख है जिसके नाम पर जड़त मुहावरा भी प्रसिद्ध हो गया। मगध राज इंद्रदुम्न के दरबार में एक भरतमुनि भी हैं। एक योगी भरत भी हुए हैं। पद्म पुराण में एक दुराचारी भरत नाम का ब्राह्मण बताया जाता है एवं एतरेय ब्राहमण दुष्यंत सुक्त भरत भी भारत नामकरण के पीछे खड़े दिखते हैं। ग्रंथ के अनुसार भरत एक विशाल साम्राज्य का निर्माण कर एक अश्वमेध यज्ञ किया था जिसके चलते उसके राज्य को भारतवर्ष नाम मिला। इसी तरह मत्स्य पुराण में उल्लेख है कि मनु को प्रजा को जन्म देने वाले स्पर्य और उसका भरण पोषण करने के कारण भरत कहा गया जिस खंड पर उसका शासनवास था, उसे भारतवर्ष कहा गया। नामकरण के सूक्त जैन परंपरा तक में भी मिलते हैं। भगवान ऋषभदेव के जेष्ठ पुत्र महायोगी भरत के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा संस्कृत में वर्ष का एक अर्थ इलाका बंटवारा व हिस्सा आदि भी होता है। आम तौर पर भारत नाम के पीछे महाभारत के एक आदि पर्व में आई एक कथा है। महा ऋषि कौव अप्सरा मेनका की बेटी शकुंतला और कुरूवंशी राजा दुष्यंत के बीच गंधर्व विवाह होता है। इन दोनों के पुत्र का नाम भरत हुआ। ऋषि कौव ने आशीर्वाद दिया कि भरत आगे चलकर चक्रवर्ती सम्राट बनेंगे और उनके नाम पर इस भूखंड का नाम भारत वर्ष होगा। अधिकांश लोगों के दिमाग में भारत नाम की उत्पत्ति की यही प्रेम कथा प्रचलित है। आदि पर्व में इस प्रसंग पर कालिदास ने अभिज्ञान शाकुंतलम् नामक एक महाकाव्य की रचना की जो मूलत प्रेमाख्यान है।

इसी वजह से यह कथा लोकप्रिय हुई। दो प्रेमियों के अमर प्रेम की कहानी इतनी महत्वपूर्ण हुई कि इस महादेश के नामकरण का निमित्त बने शकुंतला पुत्र दुष्यंत यानी महा प्रतापी भरत के बारे में अन्य बातें जानने को नहीं मिलती। इतिहास के अध्येताओं का आम तौर पर मानना है कि भरत जन इस देश में दुष्यंत पुत्र भरत से पहले भी थे, इसलिए यह तार्किक है कि भरत का नाम किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर जाति समूह के नाम पर प्रचलित हुआ। भरत जन अग्नि पूजक अग्निहोत्र व यज्ञ प्रिय थे। वैदिकीय मैं भरत जन का अर्थ अग्नि लोकपाल व विश्व रक्षक और एक राजा का नाम है। यह राजा वही भरत है जो सरस्वती घग्घर नदी के किनारों पर राज करता था। संस्कृत में भर शब्द का अर्थ होता है। युद्ध दूसरा है। समूह या जन गण और तीसरा है भरण पोषण। जाने-माने भाषा विद रामविलास शर्मा कहते हैं कि एक दूसरे से भिन्न व परस्पर विरोधी जान पड़ते हैं। अत: भर का अर्थ युद्ध व भरण पोषण दोनों हो तो यह शब्द की अपनी विशेषता नहीं है।

दरअसल भरत जनों का वृतांत आर्य इतिहास में इतना प्राचीन व दूर से चला आता है कि कभी युद्ध अग्नि संघ जैसे आर्य सिमटकर एक संज्ञा भर रह गया है। ऊपर दिए गए हिंदुस्तान के अनेक नामों की अपनी एक कहानी है। इसके बारे में और कभी इंडिका शब्द का प्रयोग मेगास्थनीज ने किया वह लम्बे समय तक पाटलिपुत्र में रहा, मगर वहां पहुंचने से पहले वह बख्त बाख्तरी गांधार तक्षशिला इलाकों से गुजरा यहां हिंद हिन्दवान हिंदू जैसे शब्द प्रचलित थे। उसने ग्रीक स्वतंत्र के अनुरूप उसने इंडिया इंडस जैसे रूप ग्रहण किए थे।

ईशा से 3 सदी और मोहम्मद से 10 सदी पहले की बात है। जहां तक जंबूद्वीप की बात है तो यह सबसे पुराना व प्राचीन नाम है। आज के भारत आर्यपुत्र भारतवर्ष से भी बड़ा परंतु यह तमाम विवरण विस्तार मांगते हैं। इन पर अभी गहन शोध चल रहा है। जामुन फल को संस्कृत में जम्बू कहा जाता है। किसी काल में जामुन की बहुलता थी। इसी वजह से इसे जंबूद्वीप कहा गया है। जो भी हो, हमारी चेतना जंबूद्वीप के समान नहीं, बल्कि भारत नाम से जुड़ी है। भारत संज्ञा की सभी परतों मे भारत होने की कथा जुड़ी हुई है।
हरी लाल यादव
सिटी स्टेशन, जनपद जौनपुर
उत्तर प्रदेश, मो.नं. 9452215225

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular