डा. प्रदीप चौरसिया
मानवीय अस्तित्व को बनाए रखने का एकमात्र उपाय है पर्यावरण संरक्षण। हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। दूषित हवा/पानी न केवल आपके शरीर को बीमार करता है बल्कि मानसिक संतुलन को भी बिगाड़ देता है। मनोरोग के तमाम प्रकारों पर बात करते हुए विशेषज्ञ बताते हैं कि इनके होने के कारणों में जितना योगदान जेनेटिक्स का होता है, उससे कहीं ज्यादा योगदान वातावरण का होता है। वातावरण एक छोटा टर्म है, कह सकते हैं कि पर्यावरण के बड़े गोले में वातावरण छोटा गोला है। प्राचीन काल से स्वास्थ्य लाभ हेतु लोग प्रकृति सुलभ जगहों पर जाते रहे हैं। आज भी लोग रिहैब के लिए जाते हैं। हमारे आस—पास कंक्रीट के जंगल बढ़ रहे हैं। पर्यावरण का क्षरण हो रहा है।
उसी प्रकार प्रैक्टिकल होने के नाम पर व्यक्ति अपने मूल स्वभाव से भाग रहा है-सफ़ल होने की अंधी दौड़ का हिस्सा बन रहा है।इससे मन-मस्तिष्क के स्वाभाविक पर्यावरण का क्षरण हो रहा है। तनाव, अवसाद, अनिद्रा, उच्च रक्तचाप इत्यादि बीमारियां एक्सटर्नल और इंटर्नल एनवायर्नमेंटल डिग्रेडेशन का ही परिणाम है। सुझाव यही रहेगा कि जीवन में एक सूत्र को अपना लीजिए जिसे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के सामने रखा है- लाइफस्टाइल फ़ॉर एनवायरनमेंट। मितव्ययी बनिये ख़ुद से और अपनों से प्रेम करिये, सम्पूर्ण सृष्टि को समेकित रूप से देखिये, वन अर्थ, वन वर्ल्ड, वन हेल्थ को बढ़ावा दीजिये।