Sunday, April 28, 2024
No menu items!

बदलती दिनचर्या से बढ़ रहे मानसिक रोगी: डा. हरिनाथ यादव

  • विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर मनो चिकित्सक ने दी जानकारी

जौनपुर। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर श्री कृष्णा न्यूरो एवं मानसिक रोग चिकित्सालय पर मंगलवार को संगोष्ठी हुई जहां मनोचिकित्सक डा. हरिनाथ यादव ने मरीजों और उनके साथ उपस्थित अभिभावकों को मानसिक रूप से कैसे स्वस्थ रहे, के बारे में जानकारी दिया। साथ ही कहा कि बदलती लाइफ स्टाइल के बीच मेंटल हेल्थ एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। इससे जुड़ी समस्याएं जैसे स्ट्रेस, एंग्जायटी और डिप्रेशन के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि लोग अब भी मेंटल हेल्थ को गंभीरता से नहीं लेते और इस बारे में बात करने में भी हिचकिचाते हैं। इस ओर जागरूकता बढ़ाने और मेंटल हेल्थ की अहमियत को समझाने के लिए हर साल 10 अक्टूबर को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस यानी वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे मनाया जाता है।

डा. यादव ने कहा कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2023 की थीम है, ‘मेंटल हेल्थ इज ए यूनिवर्सल ह्यूमन राइट’ यानी ‘मानसिक स्वास्थ्य एक सार्वभौमिक मानव अधिकार है’। इस थीम के साथ जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया जाय। साथ ही सार्वभौमिक मानवाधिकार के रूप में सभी के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने वाले अभियान चलाया जाय।

डा. यादव ने बताया कि विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम है जो हर साल 10 अक्टूबर को जागरूकता पैदा करने और किसी के जीवन और समाज में मानसिक स्वास्थ के महत्व को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को मानसिक बिमारी के बारे में शिक्षित करना और दुनिया भर के लोगों को इसका समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करना और मानसिक स्वास्थ का समर्थन करने के लिए जीवन के सभी पहलुओं में एक स्वस्थ वातावरण स्थापित करना है। डा. यादव ने बताया कि मानसिक स्वास्थ सबसे ज्यादा नकारा जाने वाला स्वास्थ क्षेत्र रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार आज करीब 1 मिलियन से अधिक लोग मानसिक विकार के साथ जी रहे हैं। इस बिमारी को ज्यादातर लोग ध्यान नहीं देते जिसके फलस्वरूप प्रत्येक 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर रहा है। ज्यादातर मानसिक रोगों में से लगभग 50 फीसदी मामले 14 वर्ष की आयु तक शुरू होते हैं। हमें इस विषय पर खास ध्यान देने की आवश्यकता है। जल्द ही इस पर ठीक प्रकार से काम नहीं किया गया तो आने वाले समय में स्थिति और खराब हो सकती है। संगोष्ठी में डा. सुशील यादव, उमानाथ यादव अध्यापक, जंग बहादुर यादव अध्यापक, लालजी यादव, शिव बहादुर यादव, सूरज, रागिनी, अवनीश के अलावा तमाम मरीज सहित उनके अभिभावक, हॉस्पिटल के सभी स्टाफ उपस्थित रहे।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

Most Popular