Monday, April 29, 2024
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निकाय चुनाव की बजी घण्टी, सबके अपने-अपने दावे और दांव

स्वार—छानबे विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की भी गहमागहमी
अजय कुमार
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी और योगी सरकार को मिशन-2024 से पहले नगर निकाय और दो विधान सभा सीटों के उप-चुनाव की ‘परीक्षा’ पास करनी होगी। जिन दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, उसमें रामपुर की स्वार और मिर्जापुर की छानबे सीट शामिल है। पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के नेता आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम विधायक चुने गए थे लेकिन जन्मतिथि विवाद में सजा मिलने के बाद अब्दुल्ला की विधानसभा की सदस्यता चली गई थी। भाजपा ने बीते वर्ष रामपुर लोकसभा के लिए हुए उपचुनाव में इस सीट पर कब्जा कर लिया था। पहले यह लोकसभा सीट आजम खान के पास थी। अब भाजपा स्वार विधानसभा सीट पर उपचुनाव में सपा नेता मोहम्मद आजम खां का अंतिम गढ़ ढहाकर रामपुर में भगवा फहराने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। वहीं मिर्जापुर की छानबे सीट पर भी गठबंधन का कब्जा बरकरार रखने के लिए पूरा दमखम झोंकेगी। छानबे विधानसभा सीट पर बीजेपी के सहयोगी अपना दल का कब्जा था। यह सीट से विधायक राहुल प्रकाश कौल के निधन के बाद से खाली है। दोनों सीटों पर दस मई को मतदान होगा और 13 मई को नतीजे आ जायेंगे।
यह चुनाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब आम चुनाव में अब एक साल से भी कम का समय बचा है। ये चुनाव सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न तो है। साथ ही इन चुनावों से अच्छे या बुरे निकले जनादेश का असर उन राजनैतिक दलों पर भी पड़ेगा जो इसमें आगे पीछे रहेंगे। नगर निगम महापौर में पिछली बार भाजपा ने 16 में 14 और बसपा ने दो सीटें जीती थीं। बसपा दो स्थानों पर दूसरे स्थान पर भी थी। सपा और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। पीछे रहने वालों के लिए इस बार जहां अच्छा प्रदर्शन करना चुनौती है तो भाजपा के लिए इस स्थिति को बरकरार रखना अहम है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा निकाय चुनाव की कराये जाने की मंजूरी दिए जाने के बाद प्रदेश में राजनैतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। ऐसे में सभी दलों ने अपनी तैयारियों को तेज कर दिया है। सभी दल इस चुनाव को लोकसभा चुनाव का रिहर्सल मान रहे हैं। पिछले निकाय चुनाव में मेयर के पदों पर जीत भाजपा व बसपा को मिली थी। अलीगढ़ और मेरठ में बसपा की जी हुई थीा। बाकी सभी निकायों में कमल खिला था, मगर गौर करने वाली स्थिति उप विजेता को लेकर थी। कांग्रेस का प्रदर्शन मुख्य विपक्षी दल सपा से बेहतर था और वह छह सीटों पर दूसरे स्थान पर थी। कानपुर नगर, गाजियाबद, मथुरा, मुरादाबाद, वाराणसी और सहारनपुर में कांग्रेस ने सपा और बसपा को पीछे छोड़ दिया था। कांग्रेस को इस बार बड़ी चुनौती का सामना करना है। वहीं सपा 5 नगरों में उप विजेता रही थी। अयोध्या, गोरखपुर, प्रयागराज, बरेली तथा लखनऊ में सपा ने दूसरे नंबर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। फिरोजाबाद में एआईएमआईएम प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहा तो भाजपा दो स्थानों पर उपविजेता थी।
पिछली बार नगर पालिका के 198 और नगर पंचायतों की 438 सीटों पर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ था। भाजपा ने नगर पालिका परिषद अध्यक्ष पद की 70 और नगर पंचायत अध्यक्ष की 100 सीटें जीती थीं। इसी तरह सपा के 45, बसपा के 29 और कांग्रेस के 9 नगर पालिका चेयरमैन बने जबकि नगर पंचायतों में सपा के 83 बसपा के 45 और कांग्रेस के 17 अध्यक्ष बने थे। इस चुनाव में भाजपा को अपनी मौजूदा स्थिति को बरकरार रखने की चुनौती है। पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले इसमें बेहतर प्रदर्शन करने की तैयारी में जुटी है। दूसरी ओर सपा को मेयर चुनाव में भी अपनी ताकत दिखानी है। इस बार सपा का रालोद के साथ गठबंधन है। ऐसे में सपा अपना समीकरण बेहतर करने के लिए तैयारी कर रही है।
बसपा ने पिछली बार दो सीट जीती थी लेकिन मेरठ से महापौर सुनीता वर्मा ने बाद में पाला बदल लिया। ऐसे में बसपा प्रत्याशी चयन में खास ध्यान दे रही है। इसी तरह कांग्रेस के प्रत्याशी सबसे ज्यादा सीटों पर उप विजेता थे। कांग्रेस इस बार जीत कर प्रदेश में अपनी वापसी का संकेत देना चाहती है। ऐसे में निकाय चुनाव में मुकाबला काफी रोचक होने के आसार हैं। बात भारतीय जनता पार्टी की करें तो उसने अपने दोनों उप मुख्यमंत्रियों की ड्यूटी नगर निकाय चुनाव में लगा दी है। योगी भी पूरी तरह से मुस्तैद नजर आ रहे हैं।
(लेखक उत्तर प्रदेश वरिष्ठ मान्यताप्राप्त पत्रकार एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)
मो.नं. 9335566111

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