- प्रभु बिलोकि हरषे पुरबासी। जनित बियोग बिपति सब नासी
डा. प्रदीप दूबे
सुइथाकला, जौनपुर। लंका के महासमर में निशाचरों का समूल नाश करके विजय रथ पर आरूढ़ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, लक्ष्मण, जानकी और चरणों में विराजमान मंगल मूरति मारुतिनन्दन तथा आगे पीछे भारी संख्या में रथ, हाथी, घुड़सवार, पैदल गाजे-बाजे के साथ विजय उत्सव का पर्व मनाते हुए लोग जब दिब्य झांकी के साथ गांव और कस्बों के बीच पहुंचते हैं तो दर्शकों के मन में राम दरस की लालसा बलवती हो उठती है। नवयुवक रामलीला समिति ईशापुर (डिहवा) में वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए अपार भक्ति भाव और अगाध श्रद्धा तथा प्रेम के वातावरण में प्रतिवर्ष लोग रामलीला का मंचन करते हैं। रावण वध के उपरांत भरत मिलाप पर मर्यादा पुरुषोत्तम की दिव्य झाँकी और चारों भाइयों का मिलन देखकर लोग पुलकित हो उठे।
अयोध्या के पुरबासियों के विरह को देखकर श्री राम अपने कई रूपों में प्रकट होकर क्षण भर में ही सभी लोगों से मिलकर उनके दुख को हर लेते हैं, “छन महिं सबहिं मिले भगवाना। उमा मरम यह काहुं न जाना। भरत मिलाप पर सक्रियता से सहयोग करने वालों में नवयुवक रामलीला समिति ईशापुर केअध्यक्ष रामेश्वर साहू, उपाध्यक्ष राम धनी मौर्या, प्रबन्धक रामजी चौरसिया, सचिव राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, कोषाध्यक्ष रामधारी चौरसिया, उपसचिव शिवाजी चौरसिया, अनन्त राम प्रजापति, रामलखन गुप्ता, संजय पाण्डेय, महेंद्र पाण्डेय, रमाकान्त पाण्डेय, दीपक पाण्डेय, उपेन्द्र चौरसिया, पिंकू पान्डेय शिव प्रकाश गुप्ता, छोटे लाल गुप्ता, रामरूप बिन्द, उमेश दुबे, समर बहादुर प्रजापति, शैलेन्द्र गुप्ता, सुनील विश्वकर्मा, रामचन्द्र मौर्य आदि मौजूद रहे।