- पीड़ित का आरोप: समाप्त हुये वर्षों पुराने विवाद पर खड़ा कर रहा नया विवाद
- प्रशासन समय रहते मामले पर नहीं दिया ध्यान तो हो सकता है बड़ा हादसा
विनोद कुमार
केराकत, जौनपुर। प्रदेश के देवरिया जिले में अवैध कब्जे को लेकर दिल दहला देने वाली हत्याकांड की घटना हर किसी के दिल को झकझोर कर रख दिया। समय रहते अगर प्रशासन मामले को गंभीरता से लेता तो शायद इतनी बड़ी घटना घटित नहीं होती। देवरिया जिले की घटना का सबक न लेते हुए केराकत कोतवाली की सरकी चौकी पुलिस वर्षों पुरानी समाप्त हुए विवादित जमीन को एक बार फिर हवा देकर नया विवाद खड़ी कर रही है। वहीं एक वायरल वीडियो में साफ देखा जा रहा है कि विपक्षी सरकी चौकी प्रभारी धीरेंद्र सोनकर की मौजूदगी पाइप डालने का कार्य कर रहा है। हालांकि वीडियो की पुष्टि अखबार नहीं करता है। पीड़ित चौकी प्रभारी पर आरोप लगाते हुए बीते मंगलवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंच पत्रक सौप न्याय की गुहार लगाई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार सुल्तानपुर (एकौनी) गांव निवासी अरविंद यादव पुत्र कोमल ने बताया कि मेरे और विपक्षी बुट्टन का मकान अगल बगल स्थित है। सेहन की जमीन के बाबत मौके पर गांव के कुछ संभ्रांत व्यक्तियों के द्वारा सुलह समझौता कर बाउंड्रीवॉल निर्माण कराकर विवाद को समाप्त कर दिया गया था। वर्षों पुरानी समाप्त हुए विवाद को विपक्षी चौकी प्रभारी को अपनी साजिश में लेकर बाउंड्रीवॉल को तोड़कर नावदान का पानी बाउंड्रीवॉल से पूरब बहाते हुए मेरे आराजी न 463 में गिरवा दिया गया है जिसकी शिकायत उपजिलाधिकारी से की गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रकरण की जांच लेखपाल से कराई गई। मौके की जांच कर लेखपाल ने अपनी स्थलीय रिपोर्ट में साफ दर्शाया है कि विवादित भूमि भीटे खाते की भूमि है जिस पर विपक्षी सहन के रूप में पूर्व से ही कब्जा दखल है। साथ बाउंड्रीवॉल से सटकर विपक्षी द्वारा गड्ढा खोदकर पाइप डालकर नावदान का पानी बहा रहा है। पाइप हटाने को कहा गया तो विपक्षी ने कहा कि यह पाइप सरकी चौकी प्रभारी के मौजूदगी में डाला गया है, इसलिए नही हटाएंगे।
पूरा मामला देखकर तो यही लगता है कि केराकत सर्किल के सरकी चौकी प्रभारी को मुख्यमंत्री का खौफ नहीं दिख रहा है? ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि अगर सुल्तानपुर (एकौनी) गांव में देवरिया जिले जैसे हालात पैदा होते हैं तो इसका जिम्मेदार आखिर होगा कौन? आखिर समय रहते ही गंभीर मामले को प्रशासन क्यों नही लेता है संज्ञान? यह एक सोचनीय विषय है। ऐसे गैरजिम्मेदार अधिकारी पर उच्चाधिकारियों द्वारा क्या कार्रवाई की जाती है, देखना दिलचस्प होगा।