Monday, April 29, 2024
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श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है: डॉ. रजनीकान्त

गोकुल घाट पर शुरू हुआ श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ
अजय पाण्डेय
जौनपुर। नगर के पुरानी बाजार स्थित गोकुल घाट पर श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आरंभ हुआ। कथा व्यास आचार्य (डॉ.) रजनीकांत द्विवेदी के सान्निध्य में काशी से आए आचार्यों ने वैदिक मंत्रोच्चारण से कार्यक्रम को विधिवत प्रारंभ किया। प्रथम दिवस के कथा की शुरुआत विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। भागवत कथा के प्रथम दिन कथा व्यास ने प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश के पूजन के बाद श्रीमद् भागवत के महात्म का वर्णन करते हुए कहा कि जन्म-जन्मांतर एवं युग-युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है, तब ऐसा अनुष्ठान होता है।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा एक अमर कथा है। इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाते हैं। वेदों का सार युगों-युगों से मानव जाति तक पहुंचाता रहा है। भागवत पुराण उसी सनातन ज्ञान की पयस्विनी है जो वेदों से प्रवाहित होती चली आई है, इसलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। इसके पश्चात व्यास जी ने विस्तार पूर्वक परीक्षित जन्म एंव शुकदेव आगमन की कथा सुनाई। पश्चात गौकर्ण की कथा सुनाई गई।
उन्होंने अच्छे ओर बुरे कर्मो की परिणिति को विस्तार से समझाते हुए आत्मदेव के पुत्र धुंधकारी ओर गौमाता के पुत्र गोकर्ण के कर्मो के बारे में विस्तार से वृतांत समझाया और धुंधकारी द्वारा एकाग्रता पूर्ण भागवत कथा श्रवण से प्रेतयोनी से मुक्ति बताई तो वहीं धुंधकारी की माता द्वारा संत प्रसाद का अनादर कर छल कपट से पुत्र प्राप्ति और उसके बुरे परिणाम को समझाया। मनुष्य जब अच्छे कर्मो के लिए आगे बढता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य के पीछे लग जाती है और हमारे सारे कार्य सफल होते है। ठीक उसी तरह बुरे कर्मो की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियॉ हमारे साथ हो जाती है।
उन्होंने कहा कि इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है। छल ओर छलावा ज्यादा दिन नहीं चलता। छल कपट जब जीवन में आ जाए तो भगवान भी उसे ग्रहण नहीं करते है- निर्मल मन प्रभु स्वीकार्य है। छल कपट रहित और निर्मल मन भक्ति के लिए जरूरी है।
इस अवसर पर प्रतिमा गुप्ता पत्नी गणेश साहू, पूजा मिश्रा पत्नी संतोष मिश्र और माधुरी देवी पत्नी हीरा लाल मोदनवाल ने कथा का पूर्ण श्रद्धा एवं समर्पण के साथ संकल्प लिया। श्रोता के रूप मे चंद्र प्रकाश सोनी, प्रमोद कुमार, संजय पाठक, आशीष यादव, डॉ गंगाधर शुक्ल, कपिल जी, अनुज जी, गोपाल जी, निशाकांत द्विवेदी आदि ने कथा का रसपान किया। व्यवस्था प्रमुख आनंद मिश्रा ने बताया कि कथा प्रतिदिन सायं 5 बजे से हरी इच्छा तक चलेगी।

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