Monday, April 29, 2024
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समाजसेवी वकार हुसैन ने राष्ट्रपति, राज्यपाल व आयोग से की शिकायत

जौनपुर। सरकारी संस्थानों/नौकर शाही में व्याप्त भ्रष्टाचार और कदम—कदम पर रिश्वत खोरी के चलन से आहत होकर हिंदुस्तान मानवाधिकार के उत्तर प्रदेश प्रभारी एवं महासचिव वकार हुसैन ने देश के राष्ट्रपति, राज्यपाल, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग आदि को पत्र लिखकर इन पर अंकुश लगाने की गुहार लगाई है। श्री हुसैन ने अपने पत्र में लिखा कि वर्तमान में माफियाओं पर अंकुश लगाने की जो भी बातें की जा रही हों परन्तु सच यह है कि आज भी नौकर शाही में बैठे अक्सर माफियाओं से लोग बुरी तरह से त्रस्त नजर आते हैं। त्रासदी यह है कि लोगों को अपने जायज़ और मूल भूत अधिकारों के लिए भी मुंहमांगा धन चुकाने को बाध्य होना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि विकास खंड से विकास भवन और विकास के शीर्ष कार्यालय तक भ्रष्टाचार, लूट और विकास की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। निःसंदेह लूट तंत्र का शक्तिशाली तंत्र लोकतंत्र की जड़ों को खोखला कर रहा है। नियम कानून और नैतिकता का गला घोंटा जा रहा है। गढ्ढों का पानी नालों से होता हुआ नदी तक पहुंचने के सबब ही अक्सर पीड़तों की शिकायतें रद्दी की टोकरी या थोड़ी सी औपचारिकता दिखाकर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है या ह्रासमेंट के उद्देश्य से साक्ष्य सुबूत के नाम पर शिकायतकर्ता को इतना दौड़ाया जाता है कि आखिर थक कर वह तौबा कर बैठता है या दबंग आरोपी के खौफ से वह शिकायत से ही मुकर जाता है।
श्री वकार के अनुसार केवल चकबंदी विभाग का सच मानवता को शर्मसार कर देने वाला है जहां गरीब, कर्ज में डूबे, परेशान हाल किसानों से भी विभिन्न हथकंडे के सहारे मुंहमांगी रकम देने को बाध्य कर दिया जाता है। एआरटीओ दफ्तर में बैठे नौकरशाह माफिया वाहनों के कागजात के नाम पर लूट की दुकान चला रहे हैं। डीएल बनाने के नाम पर 1000 के स्थान पर 5000 से 6000 तक वसूले जा रहे हैं और यदि किसी ने कभी नियम कानून की बात कर दी तो उसे नियम कानून की ही जंजीरों में बांधकर दौड़ाकर थका दिया जाता है।
उन्होंने बताया कि पुलिस जो आज भी आम लोगों के लिए खौफ और दहशत का पर्याय बनी हुई है, सुरक्षा और सहायता के नाम पर लोगों को थप्पड़, गालियां, लाठियां और एनकाउंटर। इनके टार्चर की असह्य पीड़ा के चलते कितने ही लोग पुलिस कस्टडी में ही दम तोड देते हैं। कितने ही निर्दोष पुलिस की भ्रष्ट कार्यशैली के सबब जेल की सजा काट रहे हैं। नियम कानून की रक्षा इस तरह करते हैं कि दिन—रात सच को झूठ और झूठ को सच गढ़ने में और अवैध धनउगाही व्यवस्था में व्यस्त नजर आते हैं। अवैध धनउगाही की लिस्ट वायरल होने के बावजूद क्या किसी ने चिन्ता व्यक्त की कि थानों में हर माह लाखों रुपए अवैध कहां से आ रहे हैं तो ऐसे में इनसे न्याय, नैतिकताऔ र मानवता की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? श्री वकार ने कहा कि एक समाजसेवी के तौर पर अक्सर लोग उनसे सहायता की गुहार लगाते हैं परन्तु भ्रष्टाचार के साम्राज्य के सामने उनका प्रयास असफल हो जाता है। उन्होंने राष्ट्रपति, राज्यपाल आदि से गुहार लगाई कि नौकरशाह की कुर्सियों पर बैठे माफियाओं से लोगों को मुक्ति दिलायी जाय।

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